सौत – प्रेमचंद की कहानी

जब रजिया के दो-तीन बच्चे होकर मर गये और उम्र ढल चली, तो रामू का प्रेम उससे कुछ कम होने लगा और दूसरे व्याह की धुन सवार हुई। आये दिन रजिया से बकझक होने लगी। पूरा पढ़ें...

सौत – प्रेमचंद की कहानी

सोहाग का शव – प्रेमचंद की कहानी

मध्यप्रदेश के एक पहाड़ी गॉँव में एक छोटे-से घर की छत पर एक युवक मानो संध्या की निस्तब्धता में लीन बैठा था। सामने चन्द्रमा के मलिन प्रकाश में ऊदी पर्वतमालाऍं अनन्त के स्वप्न की भॉँति गम्भीर रहस्यमय, पूरा पढ़ें...

सोहाग का शव – प्रेमचंद की कहानी

सिर्फ़ एक आवाज़ – प्रेमचंद की कहानी

सुबह का वक्त था। ठाकुर दर्शनसिंह के घर में एक हंगामा बरपा था। आज रात को चन्द्रग्रहण होने वाला था। ठाकुर साहब अपनी बूढ़ी ठकुराइन के साथ गंगाजी जाते थे इसलिए सारा घर उनकी पुरशोर तैयारी में लगा हुआ था। पूरा पढ़ें...

सिर्फ़ एक आवाज़ – प्रेमचंद की कहानी

स्‍वामिनी – प्रेमचंद की कहानी

शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्‍यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी ऑंखों में ऑंसू भरकर कहा—बहू, आज से गिरस्‍ती की देखभाल तुम्‍हारे ऊपर है। मेरा सुख भगवान् से नहीं देखा गया, पूरा पढ़ें...

स्‍वामिनी – प्रेमचंद की कहानी

सैलानी बंदर – प्रेमचंद की कहानी

जीवनदास नाम का एक गरीब मदारी अपने बन्दर मन्नू को नचाकर अपनी जीविका चलाया करता था। वह और उसकी स्त्री बुधिया दोनों मन्नू को बहुत प्यार करते थे। उनके कोई सन्तान न थी, पूरा पढ़ें...

सैलानी बंदर – प्रेमचंद की कहानी

समस्या – प्रेमचंद की कहानी

मेरे दफ्तर में चार चपरासी हैं। उनमें एक का नाम गरीब है। वह बहुत ही सीधा, बड़ा आज्ञाकारी, अपने काम में चौकस रहने वाला, घुड़कियाँ खाकर चुप रह जानेवाला यथा नाम तथा गुण वाला मनुष्य है। पूरा पढ़ें...

समस्या – प्रेमचंद की कहानी

समर यात्रा – प्रेमचंद की कहानी

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समर यात्रा – प्रेमचंद की कहानी

स्वांग – प्रेमचंद की कहानी

राजपूत खानदान में पैदा हो जाने ही से कोई सूरमा नहीं हो जाता और न नाम के पीछे ‘सिंह’ की दुम लगा देने ही से बहादुरी आती है। गजेन्द्र सिंह के पुरखे किस जमाने में राजपूत थे इसमें सन्देह की गुंजाइश नहीं। पूरा पढ़ें...

स्वांग – प्रेमचंद की कहानी

स्त्री और पुरुष – प्रेमचंद की कहानी

विपिन बाबू के लिए स्त्री ही संसार की सुन्दर वस्तु थी। वह कवि थे और उनकी कविता के लिए स्त्रियों के रुप और यौवन की प्रशसा ही सबसे चिंताकर्षक विषय था। पूरा पढ़ें...

स्त्री और पुरुष – प्रेमचंद की कहानी

शोक का पुरस्कार – प्रेमचंद की कहानी

आज तीन दिन गुजर गये। शाम का वक्त था। मैं यूनिवर्सिटी हाल से खुश-खुश चला आ रहा था। मेरे सैंकड़ों दोस्त मुझे बधाइयॉँ दे रहे थे। मारे खुशी के मेरी बॉँछें खिली जाती थीं। पूरा पढ़ें...

शोक का पुरस्कार – प्रेमचंद की कहानी