भोजपुरी अस्मिता को संवारती एक खूबसूरत गीत
अगर आप भोजपुरी क्षेत्र से संबंध रखते है और अपनी माटी के गीत में चोली खोलेला, दिया बूतावेला, देवरा सतावेला, रतिया में जगावेला इत्यादि सुन-सुन कर खीझ चुके है तो ये स्टोरी आपके लिए है. भोजपुरी वैसी भाषा नहीं है जैसा इसको पिछले दस-पंद्रह सालों में घटिया सी-ग्रेड फिल्मों में पड़ोसा गया है. ना ही भोजपुरी समाज का माहौल वैसा है जैसा कि फिल्मों में दिखाया जाता रहा है. बिहार और उत्तर प्रदेश को हिंदी भाषी राज्य कहा जाता है, लेकिन इसमें पूरी सच्चाई नहीं है. खैर, इस विषय पर बात कभी और करेंगे पुरे विस्तार से. अभी सिर्फ इस गाने की बात करते है.
इस गाने को निर्देशक नितिन चंद्रा ने अपने यूट्यूब चैनल बेजोड़ पर 2 जून को रिलीज किया है. इससे पहले इसका टीजर 28 मई को रिलीज किया गया था. गीत के बोल है स्व. श्री भोलानाथ गहमरी का और स्वर मिला है दीपाली सहाय है. इसको संगीतबद्ध किये है आशुतोष सिंह. फिल्म के निर्मात्री है बॉलीवुड हिरोईन नीतू चंद्रा. अब तक गीत को 40 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके है. निर्देशक नितिन चंद्रा लगातार सोशल मिडिया के माध्यम से भोजपुरी में फैली फूहड़ता के खिलाफ आवाज उठाते रहते है. वो अपनी टीम के साथ अपने मातृभाषा और बिहार के अन्य भाषाओँ को सहेजने में लगे है और उन्हें कामयाबी भी मिली है. उनके द्वारा निर्देशित मैथिलि फिल्म मिथिला मखान को राष्ट्रिय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.
कलेजे को ठंढक पहुँचाती इस सुमधुर भोजपुरी गीत को आप यहाँ सुनिए. . .