Category: मनोरंजन
दुनिया में कौन ऐसा व्यक्ति है, जिसे मनोरंजन पसंद ना हो. सबको होता है भाई साहब, इसीलिए तो हमने एक अलग से कॉलम बनाया है ताकि आप तक स्वस्थ मनोरंजन पहुँच सके. इस स्वस्थ मनोरंजन में आपके लिए फनी बातें और कुछ ऐसी चटपटी चीजों से सामना होता जिससे कि आपका मूड पूरा हल्का हो जाएगा, फिर चाहे बातें खेल की हो फिल्म की हो या अंतरिक्ष की. क्या फर्क पड़ता है.
राधिका आप्टे: आज के दौर की सबसे मज़बूत अभिनेत्री
अगर आप शीर्षक देख कर चौंक पड़े हैं और अपने मन में कुछ ख्याल ला रहे हैं तो एक मिनट ठहरिये. यहाँ हम आपको इस शीर्षक को फिर से पढ़ने के लिए बोल रहे हैं. यहाँ हम अभिनेत्री लिखे हैं, हिरोईन नहीं. पूरा पढ़ें...
फिल्म रिव्यू: स्त्री
फिल्म की कहानी सेट है मध्य प्रदेश के चंदेरी नामक गाँव में. इस गाँव में एक परंपरा के अनुसार हर साल चार रातों की एक पूजा का आयोजन होता है. इस पूजा के होने की वजह है गाँव को एक चुड़ैल की बुरी साया से बचाना. पूरा पढ़ें...
फिल्म रिव्यू: हैप्पी फिर भाग जाएगी
तक़रीबन दो साल पहले एक फिल्म आयी थी - हैप्पी भाग जाएगी. वो फिल्म जब आयी तो लोगों को कुछ खास पता नहीं चल पाया था. क्योंकि फिल्म लो बजट की थी और उसका प्रोमोशन भी कुछ खास नहीं हुआ था. लेकिन जब फिल्म लगी तो दर्शकों को खूब पसंद आयी थी. पूरा पढ़ें...
इनके एक्टिंग का तो पता नहीं, लेकिन डांस नहीं भूल पाओगे
तीखे नैन-नक्श और छरहरी काया, लम्बी कद और पतली कमर, बंजारन वाली हरकत और लुभावनी अदाएँ. इस तरह की बातें जब-जब भी होगी लोगों को छैया-छैया. . . की याद आएगी. पूरा पढ़ें...
फिल्म रिव्यू: गोल्ड
हॉकी पर पिछले महीने ही सूरमा आयी थी और अब गोल्ड. सूरमा देखने के बाद जो दर्शक थोड़े निराश हुए होंगे, उन्हीं की कमी पूरी करती है गोल्ड. पूरा पढ़ें...
वो कॉमेडियन जो परदे पर आते हैं तो स्टार की चमक फीकी पड़ जाती है
कॉमेडी. मतलब हंसी-मज़ाक. मनुष्य के जीवन जीने का सबसे आसान रास्ता. अगर आप अपने दिमाग में किसी कॉमेडियन को लाना चाहे तो चंद नामों के बीच जो सबसे पहला नाम होगा वो होगा जॉनी लीवर का. पूरा पढ़ें...
सुनील शेट्टी: वो हीरो जो मार खाते वक़्त मुँह से लार चुआता था.
नब्बे के दशक में पैदा हुए बच्चों का सबसे बड़ा हीरो हुआ करता था मिथुन चक्रवर्ती और अजय देवगन. लेकिन इसी बीच में एक हीरो और था जो धीमा जहर के जैसे लोगों के दिलों में फ़ैल रहा था. पूरा पढ़ें...
फिल्म रिव्यू: मुल्क
आज के समय से देखा जाए तो यह काफी प्रासंगिक विषय है जिसपर फिल्म बनायी जा सकती है. लेखक-निर्देशक अनुभव सिन्हा ने यही कोशिश किया है और लोगों को ये बताने की कोशिश कि है की यह हमारा और उसका मुल्क नहीं बल्कि सिर्फ हमारा मुल्क है. पूरा पढ़ें...
मीना कुमारी पर विशेष: चाँद तनहा है आसमाँ तनहा…
सिनेमा के पर्दे पर भारतीय नारी की देवी, माँ, सहचरी, प्राण की छवि स्थापित करने वाली और दुख-दर्द वाले चरित्रों में विशिष्ट भावप्रवणता के चलते ‘ड्रेजडी क्वीन’ का खिताब पाने वाली मीना कुमारी। पूरा पढ़ें...
साठ और सत्तर के दशक में मुमताज़ जैसी चमक किसी की नहीं थी
वक्त की एक खास बात होती है कि ये गुजर जाती है, लेकिन कोई भी वक़्त ऐसा नहीं है जो हमें कुछ ना कुछ नहीं दिया हो. ऐसे ही एक वक़्त ने हमें मुमताज दिया. पूरा पढ़ें...