![Johnny Lever expressions](https://bejodjoda.com/wp-content/uploads/2018/08/Johnny-Lever-expressions.jpg)
वो कॉमेडियन जो परदे पर आते हैं तो स्टार की चमक फीकी पड़ जाती है
कॉमेडी. मतलब हंसी-मज़ाक. मनुष्य के जीवन जीने का सबसे आसान रास्ता. अगर आप अपने दिमाग में किसी कॉमेडियन को लाना चाहे तो चंद नामों के बीच जो सबसे पहला नाम होगा वो होगा जॉनी लीवर का. जॉनी लीवर मतलब कॉमेडी. ये दोनों एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं. अपने अभिनय कौशल और शानदार हावभाव से दशकों तक भारतीय सीने दर्शकों के दिलों में राज करने वाले जॉनी लीवर का आज जन्मदिन है.
आज़ादी के दस साल बाद 14 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश में पैदा हुए जॉनी लीवर का प्रारंभिक नाम जॉन राव था. उनके पिताजी का नाम प्रकाश राव था. उनके पिताजी वहीं पर हिंदुस्तान लिवर लिमिटेड कंपनी में काम करते थे. कंपनी के एक फंक्शन में जॉन ने उसी कंपनी के कुछ सीनियर ऑफिसरों की हूबहू नक़ल उतार कर उनलोगों का खूब मनोरंजन किया. उसी दिन से लोग उन्हें जॉन लीवर बुलाने लगे.
जॉन मुंबई के धारावी में पले-बढे हैं. ये वही धारावी है जिसे एशिया महादेश का सबसे बड़ा झुग्गी माना जाता है. पैसों की तंगी के कारण वो अपनी पढाई पूरी नहीं कर सके और कुछ छोटे-मोटे काम करने लगे. जैसे कि अलग-अलग फ़िल्मी हस्तियों कि आवाज में मुंबई की सड़कों पर कलम बेचना. यहीं से वो मिमिक्री करने लगे जो लोगों को खूब पसंद आती गयी. धीरे-धीरे वो मुंबई के लोकल आर्केस्ट्रा के साथ जुड़ गए और जगह-जगह परफॉर्म करना शुरू कर दिए. जब वो लोगों के बीच में प्रचलित हो गए तब मशहूर संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के साथ जुड़ गए और ज्यादा शो करने शुरू कर दिए.
काफी दिनों तक शो करने के बाद उनके जीवन का पहला बड़ा मौका आया साल 1982 में जब उसे सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला. ऐसे ही एक किसी शो के दौरान सुनील दत्त को उनकी अदाकारी काफी पसंद आयी और वो उन्हें फिल्म दर्द का रिश्ता में एक रोल ऑफर कर दिए. बस यही एक मौका था जिसका वो लम्बे अरसे से इंतज़ार कर रहे थे. इसके बाद जॉनी लीवर की गाड़ी चल निकली और लगातार उनको काम मिलता गया. लगातार फिल्मों में काम करने के बाद भी वो अपने आप को अस्थिर नहीं पा रहे थे. कहीं ना कहीं एक बेचैनी थी. यह बेचैनी समाप्त हुई साल 1993 में जब अब्बास-मस्तान कि निर्देशन में फिल्म बनी बाज़ीगर. इस फिल्म के किरदार बाबूलाल के रोल में जॉनी हर घर की पहचान बन गए और लोग उन्हें बहुत पसंद करने लगे. उस फिल्म से दो स्टार निकले - पहला शाहरुख़ खान और दूसरा जॉनी लीवर.
क्यों इतना काम मिला जॉनी लीवर को?
![Johnny Lever with Sharukh Khan and others](https://bejodjoda.com/wp-content/uploads/2018/08/Johnny-Lever-with-Sharukh-Khan-and-others.png)
इसका जवाब सिर्फ यही नहीं है कि वो बहुत ही उम्दा किस्म के एक्टर हैं. इसका एक जवाब यह भी है कि नब्बे के दशक में बॉलीवुड में सिर्फ टाइपकास्ट फ़िल्में ही बनती थी. जैसे कि हीरो, हिरोईन और गुंडा. लेकिन इन सब के बीच ही एक अहम किरदार होता था हीरो के दोस्त का जो कि साथ में कॉमेडी का तड़का भी लगा सके और उस दौर में जॉनी लीवर के अलावा ये काम कोई और नहीं कर पाया. या फिर ऐसे कह सकते हैं कि जॉनी लीवर ने किसी को मौका लेने ही नहीं दिया. फिल्म निर्माताओं को जॉनी लीवर का ऐसा चस्का लगा कि साल में उनके पांच से आठ फ़िल्में आने लगी और यह सिलसिला लगभग डेढ़ दशक तक जारी रहा. जॉनी लीवर हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले कॉमेडियन बन गए. बॉलीवुड के बड़े सितारों को भी उनके अपीयरेंस कि ज़रूरत पड़ती थी.
जेल भी गए थे जॉनी लीवर.
साल 1998 में मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान उनपर राष्ट्रिय गीत, भारतीय संविधान और राष्ट्रिय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगा. यह कार्यक्रम अनीस इब्राहिम कास्कर के द्वारा करवाया गया था. अनीस अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का भाई है. इसी आरोप में जॉनी को सात दिनों तक जेल में रहना पड़ा फिर वो बाईज्जत बरी कर दिए गए.
![Johnny Lever with Dharmendra](https://bejodjoda.com/wp-content/uploads/2018/08/Johnny-Lever-with-Dharmendra.jpg)
उस दौर के सभी बड़े स्टार एक्टर - डायरेक्टर के साथ काम करने वाले जॉनी लीवर को दो बार फिल्मफेयर बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड मिल चूका है लेकिन उनकी उपलब्धि इससे कहीं ज्यादा की है. कॉमेडी का पर्याय बन चुके जॉनी के कुछ चुनिंदा किरदारों में बाबूलाल, छोटा छतरी, असलम भाई, पप्पी भाई जैसे किरदार को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. जॉनी आज भी बड़े परदे पर सक्रीय हैं. उनके जन्मदिन पर हम उनकी लम्बी उम्र की कामना करते हैं और उनसे ऐसे ही बेहतरीन मनोरंजन की उम्मीद भी करते हैं. जाते - जाते उनके कॉमेडी का डोज लेते जाइए: