Category: साहित्य
साहित्य – संगीत – कलाविहीनः, साक्षातपशु पुच्छविषानहीनः. मतलब ये कि जिस इंसान को साहित्य, संगीत और कला में दिलचस्पी नहीं है वो बिना पूँछ के पशु सामान है. और हमें बखूबी पता है कि आप ऐसे नहीं है. आपको तो दिलचस्पी है ही. तो यहाँ पर आपको कहानी, कविता, व्ययंग, प्रहसन और बहुत सारे ऐसे चीज मिलेंगे जिनसे आपकी साहित्यिक दिलचस्पी को पूरा किया जा सकेगा (बी पॉजिटिव).
कहानी – दो वृद्ध पुरुष
अजुर्न कुरता छुड़ाकर जाना चाहता था कि भीतर से एक स्त्री बोली—महाशय! भोजन करके रात्रि को यहीं विश्राम कीजिए। पूरा पढ़ें...
कहानी – क्षमादान
क्षमादान लियो टॉलस्टॉय की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में गिनी जाती है. भागीरथ ने देखा और कहा—बलदेवसिंह, अब और क्या चाहते हो? यहां तुम क्यों आये? पूरा पढ़ें...
कहानी – दो गज जमीन
यह कहानी पढ़ लेंगे तो आप अनावश्यक रूप से खुद को परेशान करना बंद कर देंगे. पूरा पढ़ें...
कहानी – तीन प्रश्नों के उत्तर
महात्मा की कुटिया तक पहुँचने पर राजा ने देखा कि वे अपनी कुटिया के सामने बने छोटे से बगीचे में फावड़े से खुदाई कर रहे थे। पूरा पढ़ें...
कहानी – तीन संत
“हमारी प्रार्थना है – ईश्वर तीन है और हम भी तीन हैं, इसलिए हम प्रार्थना करते हैं – ‘तुम तीन हो और हम तीन हैं, हम पर दया करो’ – यही हमारी प्रार्थना है।” पूरा पढ़ें...
कविता – मधुबाला
मैं मधु-विक्रेता को प्यारी, मधु के धट मुझ पर बलिहारी, मधु-प्यासे नयनों की माला। मैं मधुशाला की मधुबाला! पूरा पढ़ें...
कविता – मधुशाला
पुश्तैनी अधिकार मुझे है मदिरालय के आँगन पर, मेरे दादों परदादों के हाथ बिकी थी मधुशाला। पूरा पढ़ें...
कहानी – पिंजर
जब मैं पढ़ाई की पुस्तकें समाप्त कर चुका तो मेरे पिता ने मुझे वैद्यक सिखानी चाही और इस काम के लिए एक जगत के अनुभवी गुरु को नियुक्त कर दिया। मेरा नवीन गुरु केवल देशी वैद्यक में ही चतुर न था, बल्कि डॉक्टरी भी जानता था। पूरा पढ़ें...
कहानी – बोध
पंडित चंद्रधर ने अपर प्राइमरी में मुदर्रिसी तो कर ली थी, किन्तु सदा पछताया करते थे कि कहाँ से इस जंजाल में आ फँसे। यदि किसी अन्य विभाग में नौकर होते, तो अब तक हाथ में चार पैसे होते, आराम से जीवन व्यतीत होता। पूरा पढ़ें...
कहानी – रसप्रिया
हाँ, यह जीना भी कोई जीना है! निर्लज्जता है, और थेथरई की भी सीमा होती है। ...पंद्रह साल से वह गले में मृदंग लटका कर गाँव-गाँव घूमता है, भीख माँगता है। ...दाहिने हाथ की टेढ़ी उँगली मृदंग पर बैठती ही नहीं है, मृदंग क्या बजाएगा! पूरा पढ़ें...