आशीष नेहरा - यादगार विदाई

आशीष नेहरा: नेहरा से “नेहरा जी” बनने तक का सफर

Aashish Nehra

नब्बे के आधे दशक में दिल्ली के दो लड़के अपनी जवानी के उफान पर था. दोनों का पढाई में हाथ कड़ा था तो क्रिकेट प्रैक्टिस करता था. एक लड़का मोटा था तो एक पतला. मगर दोनों क्रिकेट का तेज तर्रार खिलाडी था. पतले वाले लड़के को दूध पीने में कोई इंट्रेस्ट नहीं था सो इनके हिस्से का दूध भी मोटे वाले लड़के के हिस्से आता था. नतीजा यह हुआ की मोटा लड़का अंत तक मोटा रहा हेयर पतला लड़का अंत तक पतला. आगे चलकर दोनों टीम इंडिया में प्रमुख स्तम्भ बने. मोटा लड़का को दुनिया ने वीरेंदर सहवाग के नाम से जाना और पतले वाले को आशीष नेहरा. लेकिन आज बात होगी सिर्फ आशीष नेहरा की.

पतलू - मोटू - Aashish Nehra and Virendra Sehwag
पतलू - मोटू

29 अप्रैल 1979 को दिल्ली के एक जाट परिवार में जन्में नेहरा आज अपना 39वां जन्मदिन मना रहे है. उनके फैमिली का रेस्टोरेंट का बिजनेस था. लेकिन नेहरा को तो क्रिकेटर बनना था. उसने कंधे कर किट उठाया और चल पड़े मैदान पर. उनका मेहनत रंग लाया और वो साल 1997-98 में वो दिल्ली की तरफ से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया. टीम में उनका किरदार तेज गेंदबाज का था. गेंदों में धार ऐसी थी की सिर्फ दो साल के भीतर ही इण्डिया के लिए टेस्ट टीम में चुन लिए गए.

Aashish Nehra - बाँये हाथ का फ़ास्ट बॉलर - इससे खतरनाक कुछ नहीं होता
बाँये हाथ का फ़ास्ट बॉलर - इससे खतरनाक कुछ नहीं होता

24 फ़रवरी 1999 को श्रीलंका के खिलाफ कोलम्बो में अपने डेब्यू टेस्ट में ही उन्होंने अपना जलवा दिखाया और जल्द ही उनके प्रमुख बल्लेबाज मरवन अट्टापटू को आउट कर दिया. हांलाकि इसके बाद उनको उस मैच में कोई भी विकेट नहीं मिला क्योंकि श्रीलंका ने दूसरा इनिंग खेला ही नहीं. मैच ड्रा छूटा. आशीष नेहरा के बॉलिंग की तारीफ़ हुई और उनमें भविष्य की संभावनाओं को देखा जाने लगा. इंडिया के लिए उन्होंने अपना डेब्यू मैच लगभग सवा दो साल बाद 24 जून 2001 को जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में खेला. उस मैच को इंडिया ने 9 विकेट से जीता. सचिन तेंदुलकर मैं ऑफ़ द मैच बने. नेहरा का बॉलिंग स्पेल ज़बरदस्त रहा. वो अपने 10 ओवर के स्पेल में दो मेडन रखते हुए सिर्फ 33 रन देकर 2 विकेट निकाले.

आशीष नेहरा - जवानी का जलवे
आशीष नेहरा - जवानी का जलवे

अपने वनडे डेब्यू के दो साल से भी कम समय बाद वो दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप खेल रहे थे. अफ़्रीकी पिचों पर जो उनके बॉलिंग ने कहर बरपाना शुरू किया तो वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. 26 फ़रवरी 2003 को डरबन में भारत के 250 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लिश टीम कभी पटरी पर दिखी ही नहीं. आशीष नेहरा ने उनका पूरा का पूरा संतुलन बिगाड़ के रख दिया था. सिर्फ एंड्र्यू फ्लिंटॉफ ही पिच पर थोड़ी देर रूककर खेला और 64 रन बनाया. भारत ने इस मैच को 82 रनों से जीता था. नेहरा ने इस मैच में 23 रन देकर 6 विकेट लिए थे. वीडियो यहाँ देखें:

तेज गेंदबाज होने की सबसे बड़ी कीमत इंजरी के रूप में चुकानी पड़ती है. नेहरा के साथ भी यही हुआ. वो कभी भी लगातार टीम का हिस्सा नहीं रहे. अपनी फिटनेस और इंजरी के चलते वो लगातार टीम से अंदर - बाहर होते रहे. हर बार वो दमदार तरीके से वापसी तो करते मगर फिर इंजरी से मात खा जाते. आशीष नेहरा आईपीएल में भी काफी सक्रीय, सफल और कंसिस्टेंट प्लेयर रहे है. मुंबई इंडियंस से अपने सफर की शुरुआत करने वाले नेहरा ने सनराइजर्स हैदराबाद पर आकर ख़त्म किया. आईपीएल में वो छः टीमों का हिस्सा रहे. कुल 88 मैच खेले और 106 विकेट अपने नाम किये.

SRH की तरफ से खेलते नेहराजी
SRH की तरफ से खेलते नेहराजी

1 नवम्बर 2017 को जब भारतीय टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में टी-20 मैच खेलने उतरी तो नेहरा भी टीम का हिस्सा थे. अपने 18 साल के लम्बे इंटरनेशनल कैरियर के बाद आज वो अपना आखिरी मैच खेल रहे थे.

अब वो लीजेंड हो चुके थे. पूरी आधी पीढ़ी ने उनको क्रिकेट खेलते हुए देखा था. आशीष नेहरा अब "नेहराजी" बन चुके थे. उनके लीजेंड होने की बानगी इस बात से मिलती है की उनके अंतिम मैच में स्टेडियम ने अपने दोनों एंड्स का नाम उनके नाम से कर दिया था.

जेम्स एंडरसन के बाद वो दुनिया के दूसरे ऐसे क्रिकेटर बने जिन्होंने अपने आखिरी मैच का आखिरी ओवर खुद के नाम पर रखे गए एंड्स से किया.

आशीष नेहरा - यादगार विदाई
आशीष नेहरा - यादगार विदाई

अभी नेहरा जी को आईपीएल के रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु ने अपना बॉलिंग कोच नियुक्त किया है. आज नेहरा जी अपना जन्मदिन मना रहे है तो उम्मीद है की उनकी टीम आज केकेआर को हराकर उन्हें उनके जन्मदिन का तोहफा देगी. नेहरा जी को उनके जन्मदिन पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ.

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