व्ययंग: कहीं आप भी मुर्ख तो नहीं. . . !!
आज मुर्ख दिवस कि शुभ बेला पर आईए आपलोगों को ये बताएँ की कहीं आप भी मुर्ख तो नहीं. . .!!
दिनभर मैंने खूब सोचा की ये जो मुर्ख होते हैं ये कौन होते हैं, ये कहाँ से आते है और ये रहते कहाँ हैं. तो काफी कुछ पडताल के बाद मुझे सबकुछ तो नहीं पर बहुत कुछ हासिल हुआ. और जो भी कुछ हासिल हुआ उसका सार हम आपके बीच में पडोसने जा रहे है. यकीन मानिए, आपका पाचन क्रिया खडाब नहीं होगा एवं आपकी तन्दुरुस्ती भी बनी रहेगी.
1. चलती ट्रेन में डाटा बैंक खरीदने वाले
यह मुर्खों की एक ऐसी प्रजाती है जो आपको सबसे आसानी से मिल जाएँगे. बेचने वाले को भी ये मालूमात है की ये शस्त्र उसे युद्ध नहीं जीता सकती मगर कुछ गाने सुनने के लिए लोग ऐसे अनावश्यक कदम उठा लेते है.ऐसे कदमों के दूरगामी तो क्या नजदीकी परिणाम भी चन्द मिनटों में ही देखने को मिल जाते है.
2. बसों की सबसे पिछली सीट पर बैठकर जोर-जोर से भोजपुरी गीत बजाने वाले
जिस दिन मुर्खों को श्रेणीबद्ध किया जाएगा उस कयामत वाले दिन इनको सबसे ऊपर रखा जाएगा. मुर्खिस्तान नामक एक अर्धस्वतन्त्र देश का निर्माण कराया जाएगा और उसे वहाँ का नरेश चुना जाएगा. इतना सब कुछ ब्लैक एन्ड व्हाईट तरीके से नहीं बल्कि पुरे साज - बाज से होगा और बैकग्राऊँड में अश्लील भोजपुरी के सिवा कोई और गीत बजाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
3. मोस्ट अवेटेड फिल्मों का क्लाईमैक्स बताने वाले
उन्हें लगता है कि वो बहुत बडा तीर मार लिया है. लेकिन असल मायने में जिसने महिनों उस फिल्म का इन्तजार किया उसके लिए यह किसी बुरे सपने से कम नहीं होता. कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ये बताने वाले लोगों को अभी भी समय है, आजीवन कारावास दे दी जानी चाहिए.
4. सोशल मिडिया पर अप्रैल फूल को अंग्रेजों की चाल बताने वाले
इन्हें लगता है की हम वो कुछ भी काम नहीं करेंगे जो अंग्रेज किया करते थे. जहाँ तक मुझे लगता है, अंग्रेज टट्टी तो जरूर करते होंगे. य़े भटसप और फेसबूक पर ये लिखते हुए पाए जाते हैं की पहली अप्रैल को हिन्दुस्तान के लोग नया साल मनाते थे. इसिलिए अंग्रेजों ने हम भारतवासी को कहा की तुम मुर्ख हो जो इस दिन अपना नया साल मनाते हो. हमारा नया साल तो पहली जनवरी को आता है. लेकिन अब इन्हें कौन बताए कि मुर्ख दिवस वहाँ भी इसी तारिख को मनाया जाता है जहाँ पर अंग्रेजों ने राज नहीं किया. मुझे लगता है कि अपनी अगली मन की बात प्रोग्राम में पीएम मोदीजी को इस बात को भी शमिल करना चाहिए.
5. अच्छे दिन का इन्तजार करने वाले
ये वाले कि उंगली घिस गयी दिन गिनने में कि कब आएँगे अच्छे दिन. लेकिन अब इन्हें आसान भाषा में कौन समझाए कि अच्छे दिन गिनने से नहीं, मेहनत करने से आती है.
6. शादीशुदा मर्द
ये भाई साहब का मुर्ख बनने का कोटा पुरा हो गया है. अब दुनिया कि कोई भी ताकत इन्हें मुर्ख नहीं बना सकती.
अब आप देख लिजिए कि आप इन में से कौन से वाले है. अगर इन में से कोई भी नहीं है तो आपको मेरा दँडवत प्रणाम है.
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