Happy Phirr Bhag Jayegi film poster

फिल्म रिव्यू: हैप्पी फिर भाग जाएगी

Happy Phirr Bhag Jayegi film poster

तक़रीबन दो साल पहले एक फिल्म आयी थी - हैप्पी भाग जाएगी. वो फिल्म जब आयी तो लोगों को कुछ खास पता नहीं चल पाया था. क्योंकि फिल्म लो बजट की थी और उसका प्रोमोशन भी कुछ खास नहीं हुआ था. लेकिन जब फिल्म लगी तो दर्शकों को खूब पसंद आयी थी. अच्छी बनी थी फिल्म, पसंद तो आनी ही थी. फिल्म चली और हिट हो गयी. निर्माता-निर्देशक का हौसला बढ़ा और लेखक-निर्देशक मुदस्सर अज़ीज ने दो साल के अंदर ही इसका सीक्वल बना डाला. इस बार नाम है - हैप्पी फिर भाग जाएगी.

कहानी क्या है

मुदस्सर अज़ीज ने इस फिल्म को वहीं से आगे बढ़ाया है जहाँ से पहली फिल्म ख़त्म होती है. हैप्पी (डायना पेंटी) की शादी गुडडू (अली फज़ल) से हो चुकी है और बग्गा जी (जिम्मी शेरगिल) पहली शादी टूटने का दर्द झेल तो रहे हैं लेकिन दूसरी शादी भी करने जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ एसीपी आफरीदी (पियूष मिश्रा) लाहौर में अपनी रिटायरमेंट की तैयारी कर रहे हैं. अब यहाँ से कहानी शुरू होती है. एक पाकिस्तानी मूल के चाइनीज क्रिमिनल बिजनेसमैन अदनान चाओ (डेन्ज़िल स्मिथ) का एक कंसाइनमेंट पाकिस्तान में अटका पड़ा है जो अगर बिलाल अहमद (पहली फिल्म में अभय देओल का किरदार) चाहे तो निकल सकता है, लेकिन अब समस्या ये है की उनसे बात कैसे किया जाए.

फिल्म के एक सीन में डायना पेंटी और सोनाक्षी सिन्हा - हैप्पी & हैप्पी
फिल्म के एक सीन में डायना पेंटी और सोनाक्षी सिन्हा - हैप्पी & हैप्पी

इसीलिए उनसे बात करने के लिए अदनान पहले बग्गा को अमृतसर से और फिर आफरीदी को लाहौर से उठा कर शांघाई (चीन) लाता है और फिर हैप्पी को गुड्डू समेत चीन बुलाता है एक झूठी कंसर्ट के लिए. अब यहाँ पंगा ये हो गया है कि अदनान के लोग इस हैप्पी की जगह दूसरी हैप्पी (सोनाक्षी सिन्हा) को उठा लाते हैं और फिर खेल शुरू होता है भरपूर कन्फ्यूजन का. जहाँ पर कोई भी किरदार एक दूसरे को नहीं जानता है और सब आपस में कन्फ्यूज हो रहा है. अब दूसरी हैप्पी के साथ कहानी ये है कि उसका मंगेतर अमन (अपारशक्ति खुराना) उसको छोड़ के शांघाई आ गया है और उसे उसको यहाँ से वापस पंजाब लेकर जाना है.

फिल्म की पूरी टीम - निर्माता और निर्देशक के साथ
फिल्म की पूरी टीम - निर्माता और निर्देशक के साथ

इसी सफर में दूसरी हैप्पी को मिलता है खुशवंत सिंह गिल (जस्सी गिल) जो की चीन में भारत का एक ऑफिसर है और वो उसकी किस तरह से मदद करता है यहीं से कहानी आगे बढ़ती है और ढेर सारे कन्फ्यूजन और मनोरंजन के साथ मंज़िल तक पहुँचती है. फिल्म में कुछ अच्छे ट्विस्ट हैं जो बताना स्पॉइलर हो जाएगा.

लेखन - निर्देशन

फिल्म के लेखक और निर्देशक - मुदस्सर अज़ीज
फिल्म के लेखक और निर्देशक - मुदस्सर अज़ीज

पिछली फिल्म की सफलता से मिला कॉन्फिडेंस मुदस्सर अजीज़ के लिखावट में साफ दिखता है. बहुत ही अच्छा प्लॉट लिया गया है कहानी का और उससे भी बेहतर है स्क्रीनप्ले. पटकथा को हर एंगल से मजबूत रखने की कोशिश की गयी है और यह कोशिश काफी हद तक कामयाब हुई है. बात निर्देशन की करे तो पहली फिल्म से स्टैण्डर्ड इस बार ऊँचा रखा गया है. जैसी पिछली फिल्म फिल्म की शूटिंग मुख्यतः चंडीगढ़ में हुई थी तो इस बार पूरा शूटिंग शांघाई पहुँच गया है. वहाँ के खूबसूरत लोकेशंस और किरदारों से लिया गया काम आला दर्जे के हैं.

फिल्म में कुछ बहुत मज़ेदार डायलॉग है:
(शांघाई पहुँचने के बाद)
आफरीदी: ये पाकिस्तान तो नहीं लग रहा है. .!!
बग्गा: हाँ भाई, ये तो तरक्की देखकर पता चल रहा है.

शांघाई पहुँचने के बाद बग्गा और आफरीदी
शांघाई पहुँचने के बाद बग्गा और आफरीदी

सिनेमैटोग्राफर सुनील पटेल का खास तौर पर धन्यवाद बनता है जिस तरह से शांघाई के लोकेशंस और वहाँ के स्ट्रीट को शूट किया गया है. फिल्म बहुत ही कलरफुल है और लाइट्स का बेहतरीन इस्तेमाल हुआ है. इस सफर में एडिटर निनाद खानोलकर को याद नहीं करना बेमानी हो जाएगी. पिछली फिल्म का एडिटिंग भी उनके हिस्से में ही था और इस फिल्म का भी. बहुत ही बढ़िया काम.

एक्टिंग

कोई भी एक्टर नया नहीं है सिर्फ जस्सी गिल को छोड़कर, लेकिन जस्सी भी सिर्फ बॉलीवुड में नया है. पंजाबी फिल्मों के वो बड़े नामों में से एक है. सरदार के रोल में अच्छे लगे हैं, उनके चेहरे पर इमोशंस अच्छे से आता है और इसे करने में उसे मेहनत लगी है ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता. बग्गा भाई बने जिम्मी शेरगिल अपने पिछली फिल्म का स्वैग यहाँ भी मेंटेन किये हुए हैं. दिमाग को बगल में रखकर हर फैसला दिल से लेते हैं.

अपना भाई दो बार घोड़ी चढ़ के उतर गया लेकिन शादी तक नहीं पहुँच पाया
अपना भाई दो बार घोड़ी चढ़ के उतर गया लेकिन शादी तक नहीं पहुँच पाया

डायना और अली का रोल छोटा है मगर यहाँ पर हैप्पी बनी सोनाक्षी पंजाबी किरदार में रच बस गयी है, और उनको सूट भी करता है. अपारशक्ति खुराना अपने एक्टिंग से चौंकाएंगे तो नहीं लेकिन मज़ा ज़रूर देंगें. पियूष मिश्रा साहब हमेशा की तरह - अलबेला.

गीत - संगीत

ऐसी फिल्मों में गाने फिल्म की जान होती है. यहाँ भी है लेकिन कोई भी गीत माइंड को हिट नहीं कर पाता है. फिल्मों में अच्छे लगे है लेकिन थियेटर से बहार निकलते ही सब ब्लैंक. पिछली फिल्म का टाइटल ट्रैक यहाँ पर कंटीन्यू किया गया है. स्वैग सहा नहीं जाए. . . और कोई गल नहीं. . . को सुना जा सकता है. बैकग्राउंड स्कोर भी फिल्म के हिसाब से बहुत अच्छा रखा गया है. फिल्म की लम्बाई बिलकुल उतनी ही है जितनी होनी चाहिए.

Dancing Sonakshi Sinha in film Happy Phirr Bhag Jayegi

और अंत में: अगर लाईफ में आप बहुत ज्यादा भी बीजी हैं तो ऐसी फ़िल्में देख लेनी चाहिए. मज़ा आता है. साथ में फैमिली को लेकर ना जाने की कोई वजह नहीं है. इसीलिए इसे मिस नहीं करनी चाहिए. बहुत दिनों के बाद एक मस्त रोमांटिक कॉमेडी फिल्म आयी है और ऐसी फिल्में हर शुक्रवार को नहीं आती.

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