बेजोड़ जोड़ा पेश कर रहा है बॉलीवुड की सबसे सफल डायरेक्टर-एक्टर जोड़ी को
पहली बात तो ये की जल्दी किसी के साथ किसी की ट्यूनिंग होती नहीं है. और जब होती है तो ऐसी होती है कि लोग देखने को मज़बूर हो जाते है. हमारे फिल्म इंडस्ट्री के साथ भी ऐसा ही कुछ होता है. कोई डायरेक्टर आया, किसी एक्टर के साथ काम किया और निकल पड़ा दूसरे रास्ते. लेकिन हर मामले में ऐसा नहीं होता है, कभी-कभी कोई जोड़ा ठहर जाता है, वही आगे चलकर बेजोड़ जोड़ा बन जाता है. इतिहास लिख डालता है. ऐसे ही कुछ जोड़े को यहाँ देखते है.
डेविड धवन - गोविंदा
जोड़ी की बात हो और जोड़ी नं 1 का नाम पहले ना आए तो बेमानी होगी. डेविड धवन ने गोविंदा के साथ मिलकर नं 1 सीरीज की झड़ी लगा दी थी. साल 1989 में ताकतवर से शुरू हुआ ये सफर साल 2009 पर आकर अभी थमा हुआ है, ख़तम हो गया है अभी ऐसा नहीं कह सकते. दोनों सही सलामत है और इंशाअल्लाह एक बार फिर किसी धमाके के साथ लौटे. उन बीस सालों में इस जोड़ी ने ताकतवर (1989), ताक़तवर (1989), स्वर्ग (1990), शोला और शबनम (1992), आँखें (1993), राजा बाबू (1994), कुली नं. 1 (1995), साजन चले ससुराल (1996), बनारसी बाबू (1997), दीवाना मस्ताना (1997), हीरो नं. 1 (1997), बड़े मियां छोटे मियां (1998), हसीना मान जायेगी (1999), कुंवारा (2000), जोड़ी नं.1 (2001), एक और एक ग्यारह (2003), पार्टनर (2007), और डू नॉट डिस्टर्ब 2009) जैसी फ़िल्में दी. ये दौर था जब गोविंदा एक हाथ से पूरी इंडस्ट्री पर राज कर रहा था.
मनमोहन देसाई - अमिताभ बच्चन
डेढ़ दशक तक इंडस्ट्री को कई मास्टरपीस बनाकर देने वाले इस जोड़ी ने साल 1977 से लेकर 1989 तक एक के बाद एक ९ फ़िल्में दी. और सब के सब सुपरहिट. ये फ़िल्में परवरिश (1977), अमर अकबर एंथोनी (1977), सुहाग (1979), नसीब (1981), देश प्रेमी (1982), कुली (1983), मर्द (1985), गंगा जमुना सरस्वती (1988) और तूफ़ान (1989) थी.
विजय आनंद - देव आनंद
ये बॉलीवुड की ऐसी फ़िल्में थी जिससे इंडस्ट्री बनी और संवरी. इन फिल्मों में नौ दो ग्यारह (1957), कला बाजार (1960), तेरे घर के सामने (1963), गाइड (1965), ज्वेल थीफ (1967), कहीं और चल (1968), जॉनी मेरा नाम (1970), तेरे मेरे सपने (1971), छुपा रुस्तम (1973), बुलेट (1976) सरीखी फ़िल्में हैं.
गुलज़ार - संजीव कुमार
बॉलीवुड ने लव और रोमांस तो देख लिया लेकिन जान कला दिखने की बारी आयी तब मशाल को गुलज़ार और संजीव कुमार थाम लिये. इन दोनों की जोड़ी परिचय (1972), कोशिश (1972), आंधी (1975), मौसम (1975), अंगूर (1982), और नमकीन (1982) जैसी फ़िल्में इंडस्ट्री को दिये.
प्रकाश मेहरा - अमिताभ बच्चन
बॉलीवुड लव भी सीख लिया, रोमांस और कला भी सीख लिया तो अब बारी थी एक्शन की. इसमें अपना हाथ डाले प्रकाश मेहरा और उनका साथ दिए अमिताभ बच्चन. वो बच्चन जो इस दौर में घुसा तो सात फुट का लम्बू था और जब बहार निकला तो एंग्री यंग मैन. इस दौरान इन दोनों की जोड़ी ज़ंजीर (1973), हेरा फेरी (1976), मुक़द्दर का सिकंदर (1978), लावारिस (1981), शराबी (1984), नमक हलाल (1982) और जादूगर (1989) जैसी फिल्मों में साथ काम किये.
शक्ति सामंता - राजेश खन्ना
वैसे तो बॉलीवुड का यह दौर बदलाव के दौर से गुज़र रहा था, लेकिन इस बदलाव में जो फ़िल्में इस इंडस्ट्री के फ्लो को बरकरार रखने का काम कर रही थी, वो इन्हीं की फ़िल्में थी. इन फिल्मों में आराधना (1969), कटी पतंग (1970), अमर प्रेम (1971), अजनबी (1974), मेहबूबा (1976), अनुरोध (1977), आवाज़ (1984) और अलग-अलग (1985) जैसी फ़िल्में थी.
प्रियदर्शन - अक्षय कुमार
कहते है जब निर्देशक अपने दोनों हथेलियों को सीने की ऊंचाई पर लाकर जब उल्टा घुमाते है तब एक फ्रेम बनता है. उस फ्रेम में उसे वो दीखता है जो किसी और को नहीं दिख सकता. ऐसे ही फ्रेम बनाकर प्रियदर्शन ने एक्शन स्टार अक्षय कुमार में कॉमिक टाइमिंग देखा था. इक्कीसवें दशक की सबसे बड़ी कॉमेडी फिल्म इनके खाते में गयी और फिर सिलसिला चलता चला गया. इन दोनों ने साथ में हेरा फेरी (2000), गरम मसाला (2005), भागम भाग (2006), भूल भुलैया (2007), दे दना दन (2009) और खट्टा मीठा (2010) जैसी सफल फिल्मों में काम किया.
रोहित शेट्टी - अजय देवगन
एक्शन और कॉमेडी का तड़का एक साथ, यानी की बॉक्स ऑफिस पर तबाही. और पिछले डेढ़ दशक से यही तबाही माछरखि है इन दोनों ने. यकीं नहीं होता तो फिल्मों के नाम देख लो. ज़मीन (2003), गोलमाल (2006), संडे (2008), गोलमाल रिटर्न्स (2008), ऑल द बेस्ट (2009), गोलमाल 3 (2010), सिंघम (2011), बोल बच्चन (2012), सिंघम रिटर्न्स (2014) और गोलमाल अगेन (2017).
यश चोपड़ा - शाहरुख़ खान
लव और रोमांस बॉलीवुड ने तो पहले ही सीख लिया था. फिर रही बात इस परंपरा को निभाने की तो ये जोड़ी ने बखूबी इस परंपरा को निभाया. और ऐसे निभाया की शाहरुख़ किंग ऑफ़ रोमांस बन गए और यश चोपड़ा साहब लीजेंड. फ़िल्में सिर्फ चार है, लेकिन सब के सब दमदार है. नाम तो देखो: डर (1993), दिल तो पागल है (1997), वीर-ज़ारा (2004), और जब तक है जान (2012).
सूरज बरजात्या - सलमान खान
ये जोड़ी जब भी आयी पुरे हिंदुस्तान को परिवार का मर्म और मतलब समझा गयी. परिवार का जो प्यार यहाँ मिलता है कहीं और नहीं मिलता. यकीन ना हो तो इन फिल्मों को देख लो. मैंने प्यार किया (1989), हम आपके हैं कौन…! (1994), हम साथ साथ हैं (1999), और प्रेम रतन धन पायो (2015).
करण जोहर - शाहरुख़ खान
इन दोनों को इंडस्ट्री के सबसे पावरफुल जोड़ी के रूप में जाना जाता है. हाई क्लास अर्बन लव एन्ड रोमांस का जो सिलसिला इन दोनों ने चलाया वो काबिलेतारीफ है. ये हमेशा एक दूसरे की प्रशंसा करते देखे जाते है. करण जोहर निर्देशित पहली चारों फिल्मों में शाहरुख़ है और चारों सुपरहिट. इस लिस्ट में कुछ कुछ होता है (1998), कभी ख़ुशी कभी गम (2001), कभी अलविदा न कहना (2006) और माय नेम इज खान (2010) जैसी फ़िल्में है.
राम गोपाल वर्मा - अमिताभ बच्चन
इन दोनों को साथ आने के लिए कौन प्रेरित करता है ये तो वही जाने. सरकार और सरकार राज के बाद बाकी फ़िल्में तो धड़ाम ही हुई है. फिर भी इस जोड़ी ने साथ में आठ फिल्मों में काम किया है. ये फ़िल्में सरकार (2005), डरना ज़रूरी है (2006), निशब्द (2007), राम गोपाल वर्मा की आग (2007), सरकार राज (2008), रण (2010), डिपार्टमेंट (2012) और सरकार 3 (2017) जैसी फ़िल्में है.
सुभाष घई - अनिल कपूर
सुभाष घई हमेशा अपनी तरह की कहानी को कहने के लिए ही मशहूर है. फिर कहानियों को कहले के लिए ज़रूरत पड़ी किरदार को तो वो मिला अनिल कपूर को. जब एक बार मिला तब तो फिर मिलता ही रह गया. लिस्ट तो देखिए ज़रा. मेरी जंग (1985), कर्मा (1986), राम लखन (1989), ताल (1999), और युवराज (2008).
सुभाष घई - जैकी श्रॉफ
सुभाष घई अनिल से पहले जग्गू दादा के साथ काम कर चुके थे. फिर जब अनिल कपूर मिले तो वो जग्गू दादा को छोड़े नहीं, दोनों को साथ में लाये और ब्लॉकबस्टर बना डाली. दोनों का कोलैबोरेशन देखिये. हीरो (1983), कर्मा (1986), राम लखन (1989), खलनायक (1993), और यादें (2001).
विक्रम भट्ट - बिपाशा बासु
विक्रम ने अपने हर भुतहा फिल्म में बिपाशा को भूतानि बनाया. राज़ से शुरू हुआ ये सफर अभी क्रीचर पर रुका हुआ है. लिस्ट देखें ज़रा राज़ (2002), फुटपाथ (2003), ऐतबार (2004), राज़ 3 (2012), और क्रीचर (2012).
मोहित सूरी - इमरान हाशमी
कम पैसा लगाओ और अच्छी फ़िल्में बनाओ. ये गुर सीखना है तो इस जोड़ी के पास दौड़कर चले आओ. ट्रैक रिकॉर्ड नहीं देखोगे? ये देखो ज़हर (2005), कलयुग (2005), आवारापन (2007), राज़: द मिस्ट्री कॉन्टिनुएस (2009), क्रूक (2010), मर्डर 2 (2011), और हमारी अधूरी कहानी (2015).
प्रकाश झा - अजय देवगन
ये मेरी सबसे पसंदीदा जोड़ियों में से एक है. जब-जब दोनों साथ आते है, अजय का कुछ दूसरा ही रूप देखने को मिल जाता है. साथ में गंगाजल (2003), अपहरण (2005), राजनीति (2010), और सत्याग्रह (2013) सरीखी फ़िल्में जो है.
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