कारगिल के हीरो – कैप्टन अनुज नय्यर, जो अपनी शादी को छोड़कर देश पर कुर्बान हो गया

दुनिया में हुए हर युद्ध से कोई ना कोई हीरो बनके निकलता है। चाहे हो विश्व युद्ध हो, सोवियत युद्ध या फिर कोई और युद्ध। ऐसे ही एक युद्ध हमने लड़ा था पाकिस्तान से साल 1999 में। उस युद्ध में हमारे सैकड़ों जवान भारत की आन-बान-शान पर खुद को कुर्बान कर दिए और हिंदुस्तान को एक बार फिर से पूरी दुनिया में सर ऊँचा करने का मौका दिया। इस युद्ध में हमने कई बेशकीमती हिरे खो दिए, जिसका मलाल हर भारतीय को हमेशा रहेगा। आज उन्हीं हीरो में से एक हीरो की बात होगी – कैप्टन अनुज नय्यर

जन्म और प्रारंभिक जीवन – Birth, Early Life and Education of Captain Anuj Nayyar

अनुज नय्यर का जन्म 28 अगस्त 1975 में दिल्ली में हुआ। पिता एस के नय्यर दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनाॅमिक्स में विजीटिंग प्रोफेसर थे और माँ मीना नय्यर साउथ कैंपस लाइब्रेरी में काम करती थीं। साल 1993 में दिल्ली के धौला कुआँ के आर्मी पब्लिक स्कुल से हाई स्कूल की पढाई करने के बाद वो नेशनल डिफेन्स एकेडमी से वो ग्रैजुएट हुए। अनुज बहुत ही ब्रिलिएंट स्टूडेंट थे और साथ ही उन्हें खेलकूद में भी खासी दिलचस्पी थी।

सेना में भर्ती और फिर कारगिल का युद्ध – Army Career and the Kargil War

एनडीए से निकलने के बाद वो साल 1997 में 17वीं जाट बटालियन में कमीशन हो गए। इसके 2 साल बाद, 1999 में इंडियन आर्मी को कारगिल सेक्टर में कुछ पाकिस्तानी घुसपैठियों की खबर मिली। जहां से कारगिल वॉर की शुरुआत हुई।

एक कहानी तैरती है जिसके अनुसार –

“अनुज से एक बार पूछा गया कि वह आर्मी क्यों ज्वाइन करना चाहते थे, तो उनका जवाब हैरान कर देने वाला था। उन्होंने कहा, असल में वह सियाचिन आना चाहते थे। ताकि, वह इस बात को जान पायें कि सियाचिन ज्यादा मजबूत है या फिर वह खुद।”

मई के महीने में शुरू हुई घुसपैठियों की मामूली खबर बाद में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध हो गया। जुलाई के महीने में, कैप्टन नय्यर को टाइगर हिल के पश्चिम में पॉइंट 4875 को खाली कराने का टास्क दिया गया। जो पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कैप्चर कर रखा था। कैप्टेन नय्यर जो कि 17वीं जाट बटालियन में जूनियर कमांडर था। उस समय कारगिल की लड़ाई में लगे 50,000 जवानों में से एक था।

अनुज को जो पहला बड़ा मिशन मिला वो था पिम्पल-2 को सिक्योर करने का। पिम्पल-2 जो है वह पिम्पल कॉम्प्लेक्स में सबसे ऊँची छोटी है। और इस को सिक्योर करने के लिए पॉइंट 4875 को कैप्चर करना रणनीतिक रूप से बहुत जरुरी था। यह पॉइंट 15,990 फुट की ऊँचाई पर था जिसे कैप्चर करना कतई आसान नहीं था। यह काम एरियल सपोर्ट के बिना पूरा नहीं हो सकता था लेकिन हवाई आक्रमण के लिए सुबह तक का वक्त नहीं था, क्योंकि तब तक बहुत देर हो जाती।

अब 17वीं जाट बटालियन ने अनुज के नेतृत्व में आगे बढ़ने का फैसला लिया। वो दिन था 6 जुलाई 1999। जैसे ही हमला शुरू हुआ उसके तुरंत बाद ही 17वीं जाट बटालियन का कमांडर घायल हो गए और वो मोर्चा सँभालने के अनुज नय्यर को आगे कर दिए। अनुज ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी संभाला और मोर्चा लेने के लिए आगे बढ़े। नैय्यर अपनी टीम के सात लोगों के साथ चोटी की ओर बढ़ने लगे। जहां पाकिस्तानी घुसपैठियों ने अपने कुछ बंकर बना रखे थे। रास्ते में नय्यर की टीम को पाकिस्तानी आर्टिलरी और मिलिटेंटस से सीधा आमना-सामना करना पड़ा। लेकिन जवाबी हमला किया गया और आखिरकार पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे हटना पड़ा। इस पूरे मिशन में नय्यर ने 9 पाकिस्तानी मिलिटेंट को मार गिराया और 3 मशीनगन बंकर भी गिरा दिए।

टाइगर हिल पर तिरंगा लहराते भारतीय जवान

लेकिन चौथे बंकर को खाली कराते समय दुश्मन का एक ग्रेनेड सीधे अनुज के ऊपर आकर गिरा। लेकिन अनुज यहां हार मानने वाले नहीं थे। इतने बुरे तरीके से जख्मी होने के बाद नय्यर अपनी टीम को लेकर आगे बढ़ते रहे। और दुश्मन के आखिरी बंकर को खाली करा दिया। इसके बाद मात्र 24 साल की उम्र में देश का ये जवान शहीद हो गया। वह तारीख थी 7 जुलाई 1999। नय्यर की टीम चार्ली का एक भी जवान जिन्दा नहीं बचा था। बाद में फिर से पाकिस्तानी घुसपैठिये वापस पॉइंट 4875 कैप्चर करने आए। लेकिन कैप्टन बत्रा की टीम ने उन्हें पीछे धकेल दिया। और बाद में यही पॉइंट 4875 टाइगर हिल को वापिस जीतने का रास्ता बना। और पाकिस्तानी मिलिटेंट को वापिस अपने एरिया में जाने को मजबूर होना पड़ा।

दुल्हन नहीं, देश को दिया तरजीह

अगस्त 1999 में, वह अपने बचपन के प्रेमी के साथ सगाई करने की योजना तक बना चुके थे। उनके पिता भी इस रिश्ते के लिए उत्साहित थे। उन्होंने इस मौके पर अनुज को देने के लिए नई कार भी बुक करा दी थी। किन्तु, नियति को कुछ और मंजूर था। वह सगाई के लिए छुट्टी पर घर आते इससे पहले जुलाई के महीने में पाकिस्तान के साथ कारगिल का युद्ध छिड़ गया।

शहीद कैप्टन के नाम पर दिल्ली में बना स्कूल

अपने मिशन की ओर बढ़ने से पहले, अनुज ने अपने सीनियर अधिकारी की तरफ बढ़ते हुए कहा कि सर मैं आपसे एक फेवर चाहता हूं। उन्होंने अपनी जेब से एक अंगूठी निकालकर उन्हें देते हुआ कहा, यह मैंने अपनी होने वाली पत्नी के लिए ली थी। अब मैं जंग में जा रहा हूं, इसलिए लौटूंगा या नहीं, कुछ नहीं कहा जा सकता। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा, मैं नहीं चाहता कि यह अंगूठी दुश्मन के हाथों में आ जाए। इसीलिए आप इसको संभाल कर रखिए।

सम्मान और कैप्टन अनुज नय्यर की लीजेंडरी – Recognition and the Legacy of Captain Anuj Nayyar

शहादत के बाद उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस सम्मान को उनके पिता श्री एस के नय्यर ने रिसीव किया। उन्हीं जाट रेजिमेंट के उनके एक साथी सोल्जर ने अनुज नय्यर की याद में अपने बेटे काम अनुज रखा। दिल्ली के जनकपुरी एरिया में आज भी एक रोड का नाम “कैप्टन अनुज नय्यर मार्ग” रखा गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस में भी एक स्टडी हॉल का नाम, कैप्टन अनुज नायर को डेडीकेट किया गया है।

वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा . .!!

युद्ध समाप्ति के बाद नय्यर के परिवार को पेट्रोल पंप देने की सूचना गृह मंत्रालय ने एक पत्र के जरिए दी, लेकिन उनकी माँ ने इसे लेने से मना कर दिया। हालांकि तत्कालीन जनरल वी पी मलिक के समझाने पर वे इसके लिए तैयार हो गईं। वीपी मलिक ने उनसे कहा था कि ये हम आपको नहीं बल्कि आपके बेटे को दे रहे हैं। अपने बेटे को लोगों के बीच हमेशा जिंदा रखने के लिए उन्होंने ये पेट्रोल पंप काफी सोच विचार के बाद लेने का निर्णय किया। आज दिल्ली के वसुंधरा एनक्लेव में ये पेट्रोल पंप स्थित है।

कैप्टन अनुज नय्यर के नाम पर बना पेट्रोल पम्प

साल 2003 में जब कारगिल वार पर पर आधारित जेपी दत्ता की फिल्म आयी थी उसमें अभिनेता सैफ अली खान ने उनका किरदार निभाया था। देश की सीमाओं की सुरक्षा करने वाले ऐसे अमर शहीदों का देश हमेशा कर्ज़दार रहेगा।

वीडियो: कहानी सीसीडी के मालिक वी जी सिद्धार्थ की, जिसे अरबपति होते हुए भी आत्महत्या करना पड़ा

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