निर्वासन – प्रेमचंद की कहानी

रशुराम—पहले यह बताओं तुम इतने दिनों से कहां रहीं, किसके साथ रहीं, किस तरह रहीं और फिर यहां किसके साथ आयीं? तब, तब विचार...देखी जाएगी। पूरा पढ़ें...

निर्वासन – प्रेमचंद की कहानी

नादान दोस्त – प्रेमचंद की कहानी

केशव के घर में कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अण्डे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़ियों को वहां आते-जाते देखा करते । पूरा पढ़ें...

नादान दोस्त – प्रेमचंद की कहानी

नागपूजा – प्रेमचंद की कहानी

प्रातःकाल था। आषाढ़ का पहला दौंगड़ा निकल गया था। कीट-पतंग चारों तरफ रेंगते दिखायी देते थे। तिलोत्तमा ने वाटिका की ओर देखा तो वृक्ष और पौधे ऐसे निखर गये थे जैसे साबुन से मैले कपड़े निखर जाते हैं। पूरा पढ़ें...

नागपूजा – प्रेमचंद की कहानी

नसीहतों का दफ्तर – प्रेमचंद की कहानी

बाबू अक्षयकुमार पटना के एक वकील थे और बड़े वकीलों में समझे जाते थे। यानी रायबहादुरी के करीब पहुँच चुके थे। जैसा कि अकसर बड़े आदमियों के बारे में मशहूर है, इन बाबू साब का लड़कपन भी बहुत गरीबी में बीता था। पूरा पढ़ें...

नसीहतों का दफ्तर – प्रेमचंद की कहानी

नशा – प्रेमचंद की कहानी

ईश्‍वरी एक बडे जमींदार का लड़का था और मैं गरीब क्‍लर्क था, जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्‍पर बहसें होती रहती थीं। पूरा पढ़ें...

नशा – प्रेमचंद की कहानी

नैराश्य लीला – प्रेमचंद की कहानी

पंडित हृदयनाथ अयोध्याय के एक सम्मानित पुरुष थे। धनवान् तो नहीं लेकिन खाने-पीने से खुश थे। कई मकान थे, उन्हीं के किराये पर गुजर होता था। पूरा पढ़ें...

नैराश्य लीला – प्रेमचंद की कहानी

नैराश्य – प्रेमचंद की कहानी

बाज आदमी अपनी स्त्री से इसलिए नाराज रहते हैं कि उसके लड़कियां ही क्यों होती हैं, लड़के क्यों नहीं होते। जानते हैं कि इनमें स्त्री को दोष नहीं है, पूरा पढ़ें...

नैराश्य – प्रेमचंद की कहानी

नरक का मार्ग – प्रेमचंद की कहानी

रात “भक्तमाल” पढ़ते-पढ़ते न जाने कब नींद आ गयी। कैसे-कैसे महात्मा थे जिनके लिए भगवत्-प्रेम ही सब कुछ था, इसी में मग्न रहते थे। ऐसी भक्ति बड़ी तपस्या से मिलती है। पूरा पढ़ें...

नरक का मार्ग – प्रेमचंद की कहानी

नब़ी का नीति-निर्वाह चंद – प्रेमचंद की कहानी

हजरत मुहम्मद को इलहाम हुए थोड़े ही दिन हुए थे, दस-पांच पड़ोसियों और निकट सम्बन्धियों के सिवा अभी और कोई उनके दीन पर ईमान न लाया था। पूरा पढ़ें...

नब़ी का नीति-निर्वाह चंद – प्रेमचंद की कहानी

नेकी – प्रेमचंद की कहानी

सावन का महीना था। रेवती रानी ने पांव में मेहंदी रचायी, मांग-चोटी संवारी और तब अपनी बूढ़ी सास ने जाकर बोली—अम्मां जी, आज भी मेला देखने जाऊँगी। पूरा पढ़ें...

नेकी – प्रेमचंद की कहानी