योग आपको कैसे एक बेहतर इंसान बनाता है. भाग - 3
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर इस खास स्टोरी में हमने आपको पिछले दो भागों में योग का परिचय और उसके प्रकार बताये. आशा करते है कि आपलोगों को हमारा यह खास सीरीज पसंद आ रहा होगा. अब इसके आखिरी भाग में हम कुछ महत्वपूर्ण आसनों को करने की विधि के बारे में जानेंगे.
कौन से योग को किस तरीके से, किस समय पर और कितने देर तक किया जाना चाहिए ऐसे पाँच महत्वपूर्ण आसन के बारे में बता रहे है जिसे नियमित रूप से किया जाना चाहिए.
कटिचक्रासन
कटि का मतलब कमर और चक्र का मतलब गोला होता है. इस आसान में अभ्यासी को अपने कमर को बायीं एवं दाहिनी और चक्रवत क्रम में घूमना होता है, इसीलिए इसे कटिचक्रासन कहते है.
विधि
धरती पर दोनों पैरों के बिच लगभग 1.५ फ़ीट का अंतर रखते हुए खड़े हों. भुजाओं को शरीर के सामानांतर स्थिति में रखें, अब धीरे-धीरे भुजाओं को वक्षस्थल के पास लाएँ. साँस भरें और कमर को थोड़ा बल देते हुए भुजाओं को धीरे-धीरे बायीं और यथासंभव ले जाएं एवं सामान्य सांस के साथ रुकने का अभ्यास करें. इसके बाद इसी प्रक्रिया को दायीं और भी दोहराएं.
लाभ
1. इसके अभ्यास से कमर पतली एवं शक्तिशाली होती है.
2. कंधे, गर्दन, बांह, पीठ और जांघ को बल मिलता है.
3. डायजेस्टिव सिस्टम में सुधर होता है.
4. सर्वाइकल एवं लम्बर स्पॉन्डिलाइटिस में भी यह लाभदायक होता है.
अर्धचक्रासन
अर्ध मतलब आधा और चक्र मलतब गोला. इस आसन में देह अर्ध चक्र के सामान आधा गोल दिखाई देता है, इसीलिए इसे अर्धचक्रासन कहा जाता है.
विधि
धरती पर दोनों पैरों को फैलाते हुए खड़े हों और हथेलियों को कमर पर थोड़ा नीचे की और रखें. साँस लेते हुए यथासंभव पीछे की और सम्पूर्ण देह को मोड़ने का प्रयास करें. थोड़ी देर इस स्थिति को बनाएं रखें किन्तु चरम स्थिति में साँस की गति को सामान्य रखें. फिर साँस भरे तथा छोड़ते हुए पूर्ववत सीधी स्थिति में आ जाएं. इस प्रक्रिया को 3-४ बार अभ्यास करें.
लाभ
1. इसके अभ्यास से तंत्रिका तंत्र शक्तिशाली बनता है तथा शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होने लगता है.
2. रीढ़ की हड्डी में लचीलापन और दृढ़ता आती है.
3. कमर एवं गर्दन दर्द, पाचनतंत्र की गड़बड़ी एवं दमा जैसे रोगों के उपचार में इसका अभ्यास लाभप्रद है.
ऊर्ध्व हस्तोत्तानासन
ऊर्ध्व मतलब ऊपर की ओर, हस्त मतलब हाथ और उत्तान मतलब खिंचाव. जब बाँहों को ऊपर खींची हुई अवस्था में जाते है तो यह स्थिति ऊर्ध्व हस्तोत्तानासन कहलाती है.
विधि
दोनों पैरों को मिलते हर खड़े हों. दोनों हाथों की उँगलियों को एक दूसरे में फंसाते हुए बाँहों को ऊपर की ओर उठायें. साँस लेते हुए सम्पूर्ण देह को ऊपर की ओर खिंचाव दें. अब सांस छोड़ते हुए बायीं ओर शरीर को झुकाएं और सामान्य साँस लेते रहे. वापस पहले की तरह केंद्रीय स्थिति में आ जाएँ. फिर से साँस भरें और इस प्रक्रिया को दायीं ओर भी करें. इस चक्र का अभ्यास 4-५ बार करें.
लाभ
1. इससे कमर पतला तथा सीना चौड़ा होता है.
2. लम्बाई को बढ़ता है.
3. रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है.
4. कमर दर्द और गर्दन दर्द के लिए यह रामबाण है.
पद्मासन
संस्कृत शब्द पद्म का मतलब कमल होता है. इस आसन की स्थिति खिले हुए कमल की पंखुड़ियों के सामान होने के कारण इसे पद्मासन कहते है.
विधि
सम स्थिति में बैठें. बाँयें पैर को मोड़ते हुए दाहिनी जंघा पर इस प्रकार रखें की बाँयीं एड़ी पेट के दाँये भाग को छुए. अब दाहिने पैर को मोड़ते हुए बाँयीं जंघा पर इस प्रकार रखे की दायीं एड़ी पेट के बांयें भाग को छुए. हाथों को आगे घुटनों पर ज्ञान की मुद्रा में रखें. रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें.
लाभ
1. यह आसन पूजा-पाठ, प्राणायाम एवं ध्यान की स्थिति में बैठने के काम आता है.
2. तनाव दूर होती है तथा मानसिक शांति मिलती है.
3. पाचन शक्ति को बढ़ता है.
4. कब्ज़ और गैस्ट्रिक दूर करने में सहायक है.
5. स्त्री रोगों को दूर करने में विशेष रूप से उपयोगी है.
सावधानी: घुटनों के दर्द से पीड़ितों को यह आसन नहीं करना चाहिए.
सर्वांगासन
संस्कृत के शब्द सर्वांग का अर्थ है सभी अंग. यह आसन शरीर के लगभग सभी अंगों, उपांगों पर अपना प्रभाव डालता है, इसीलिए इसे सर्वांगासन कहा जाता है.
विधि
भूमि पर पीठ के बल पैरों को मिलाते हुए लेट जायें. पैरों को धीरे-धीरे ९० डिग्री अंश तक उठायें. हाथों को पीछे कमर पर रखकर शरीर के उठे हुए भाग को सहारा देते हुए, धीरे - धीरे सम्पूर्ण शरीर को कन्धों के बल सीधा ऊपर उठायें. ऐसी स्थिति में पैरों के अंगूठे से कन्धों तह शरीर को सीधा संतुलित रखें. कुछ देर तक इस चरम स्थिति में सामान्य सांस बनाये रखें. इस अवस्था से वापस आते समय धीरे - घिरते पैरों को झुकायें तथा जमीन पर रीढ़ का स्पर्श कराते हुए मूल स्थिति में लौट आयें.
लाभ
1. कब्ज़, मोटापा, हॉर्निया रोगों के उपचार में यह काफी लाभदायक है.
2. यह मेरुदण्ड (स्पाइनल कॉर्ड) को मज़बूत बनाता है/
3. थॉयरायड ग्लैंड के सामान्य स्राव को बनाये रखने में सहायक है.
सावधानी
1. हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट पेशेंट के लिए इसका अभ्यास वर्जित है.
2. इस आसन का अभ्यास झटके देते हुए नहीं करना चाहिए.
इस खास सीरीज का अंतिम भाग यहीं तक. इसके आलावा और भी किस्से - कहानियों और दिलचस्प बातों के लिए bejodjoda.com पढ़ते रहिए और लेटेस्ट अपडेट पाने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को लाईक और ट्विटर पर फॉलो कीजिए.