Tensed child under exam pressure

फेल हो जाना आखिरी मंज़िल नहीं है

Tensed child under exam pressure
PC - Forbes India

तुम कौन हो ? तुम क्या हो ? तुम क्यों हो ? क्या तुम्हें तुम्हारे आलावा कोई जानता है ? क्या तुम अपने सपनों को किसी और का समझते हो ? क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारे कामयाब नहीं होने से सृष्टि समाप्त हो जाएगी. सूरज पूरब से नहीं, कहीं और से निकलना शुरू कर देगा. हवाएं बहना छोड़ देगी या फिर नदियों का पानी सुख जाएगा. तो इसका सीधा और सपाट जवाब होगा, नहीं. क्योंकि जो आपके बस में नहीं है आप उसको बदल नहीं सकते. कोइ भी इंसान कम से कम अबतक तो इतना अमीर नहीं हुआ है कि अपना गुज़रा हुआ कल वापस खरीद सके. ज़रुरत है तो बस हर दिन बेहतरी की कोशिश करने की. हर दिन बेहतर करने की.

आपकी इच्छाशक्ति आपके मार्क्सशीट से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है
आपकी इच्छाशक्ति आपके मार्क्सशीट से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है

इस सद्बुद्धि के बाद आते है काम की बात पर. बात ये है कि आप घबराते है. आप डर जाते है. आप बेचैन हो जाते है. आप करने की बजाय सोचना शुरू कर देते है और फिर करना काफी पीछे छूट जाता है. जो आपको मानसिक तनाव देती है और फिर आप अपने आप को मायूस बना डालते है. क्यों. .?? क्यों पास हो जाना कामयाबी और फेल हो जाना नाकामयाबी की निशानी बन जाती है. जबकि आप दोनों ही परिस्थितियों में सीखते ही तो है. क्या होगा अगर तुम्हारे पास डिग्री नहीं होगी. क्या होगा अगर वो तुमसे आगे निकल जाएगा. क्या हो जाएगा जब तुम एक और कोशिश उस चीज़ के लिए करोगे जो तुम वाकई चाहते हो.

जितनी ऊर्जा तुम दूसरों से खुद की तुलना करने में खर्च करते हो, उसी ऊर्जा को खुद को बेहतर बनाने में खर्च करो. यकीन मानो ये एट्टीट्यूड तुम्हें एक नई ऊंचाई तक लेकर जाएगा. आध्यात्म और प्रकृति से नाता जोड़ो. नियमित व्यायाम और योगा करो. चीज़ों को अच्छी नज़रों से देखने का मन करेगा. दिमाग को ताज़गी मिलेगी. अवसाद तुमसे कोसों दूर रहेगा. नयी विचारों का संचार होगा. खुश रहोगे. और मेरे दोस्त भरोसा करो, इससे बड़ी संपत्ति आज तक किसी के पास नहीं हुई.

फेल हो जाना कोई दुर्घटना नहीं है. हर इंसान कभी ना कभी फेल हुआ है, उस चीज़ को करने में जो वो वाकई में करना चाहता है. इसका मतलब ये नही कि उसे कामयाबी नहीं मिली. वो कामयाब भी हुआ और शोहरत भी कमाया. दरअसल फेल होना आईपीएल मैच के उस टाइम आउट की तरह है, जिसमें आपको आगे की राणनिति तय करनी होती है. तो रणनीति बनाओ और निकल पड़ो आगे की ओवर्स को खेलने के लिए. जो लोग अपनी शुरूआती दौर में कामयाब हो जाते है इसका मतलब यह नहीं है कि वो आखिरी तक ऐसे ही रहते है. और अपनी शुरूआती दौर में नाकामयाब होने वाले के साथ भी यही फंडा काम करता है. समय हमेशा बदलता रहता है और यह किसी चीज़ का मोहताज़ नहीं होता. राजा और फ़क़ीर, दोनों को बराबर मौके देता है.

आपकी सोच आपके डिग्री से ज्यादा कीमती है
आपकी सोच आपके डिग्री से ज्यादा कीमती है

हालिया उदहारण मुंबई में रह रहे एक लड़का का है, जो अपने मैट्रिक के परीक्षा में 92% नंबर प्राप्त किया और ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में फेल हो गया. मानसिक और दिमागी रूप से इतना कमजोर हो गया था वो कि उसे यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपनी जान ले ली. अब तुम बताओ क्या होगा कागज़ के उस एक टुकड़े का जिसपर 92% नंबर अंकित है या फिर वह टुकड़ा जिस पर फेल अंकित है. जिस वजह से उसने अपनी जीवन लीला ही ख़तम कर डाली.

ऐसी चीजों से पहले आप बर्बाद होते है फिर आप ही समाज को बर्बाद करते है
ऐसी चीजों से पहले आप बर्बाद होते है फिर आप ही समाज को बर्बाद करते है

असल में उस कागज़ के टुकड़े का मोल रहना या फिर नहीं रहना सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे ऊपर ही निर्भर करता है. मैच को जीतना है तो आखिरी तक बैटिंग करनी ही पड़ेगी. ताबड़तोड़ शॉट खेलने से तेजी से आगे तो बढ़ोगे लेकिन आउट होने का खतरा भी उतना ही बना रहेगा. तो क्या ज़रुरत है जल्दबाज़ी की, आराम से खेलते है ना. एन्जॉय करते हुए. तो कुल मिलाकर करना कुछ ज्यादा है नहीं, बीते हुए कल से कुछ सीखो और आने वाले कल के लिए आज में जीते हुए खुद को तैयार करो. लोगों को विश्वास दिलाओ, उन्हें उम्मीद मत दो. जिस दिन उम्मीद दे दोगे तुम बंध जाओगे, तुम्हारे पर खुद-ब-खुद कट जाएंगे. फिर तुम कभी उड़ नहीं सकते. अपने आप पर आज भरोसा करोगे तो कल लोग भी तुम पर भरोसा करेंगे.

तो करते है ना. . . .

Leave a Reply