Palatan film poster

फिल्म रिव्यू: पलटन

Palatan film poster

जे पी दत्ता पुरे बारह सालों के बाद फिल्म निर्देशन में वापस आये हैं. वो पिछली फिल्म जब निर्देशित किये थे तो साल था २००६ और फिल्म थी अभिषेक - ऐश्वर्या अभिनीत उमराव जान. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी. जे पी दत्ता इस फिल्म में अपने फिल्ममेकिंग के साथ बदलाव किये थे और वॉर जोन से हटकर रोमांटिक फिल्म बनाये थे. लेकिन इस बार वो वापस अपने ट्रेडमार्क स्टाइल में वापस आ गए हैं.

कहानी

साल १९६२ का इंडो - चाइना वार समाप्त हो चुका है और अब साल १९६७ चल रहा है, लेकिन चीनी सैनिक अब भी भारत के कुछ हिस्से पर कब्ज़ा जमाने का सपना नहीं छोड़ा है. सिक्किम में भारत-चीन बॉर्डर पर एक एरिया है नाथुला और चाओला. इन दोनों एरिया में चीन अपने सैनिको को लगा रखा है और भारत भी अपने कुछ सेनाओं की टुकड़ी को वहाँ पर मुस्तैद किये हुआ है. चूँकि १९६२ के युद्ध के बाद एक समझौते की वजह से सीमा पर गोलीबारी नहीं हो सकती इसीलिए सैनिक ज्यादा तनाव होने पर मल्लयुद्ध और पत्थरबाज़ी का सहारा लेते हैं.

A scene from film Palatan

लेकिन फिर हालात कुछ ऐसे बनते है की युद्ध की नौबत आ जाती है और किस बहादुरी से भारतीय सेना की उस छोटी सी टुकड़ी ने चीन के फौजों का सामना किया और विजय हासिल की, इसी को इस पूरी फिल्म में कवर किया गया है.

लेखन - निर्देशन

इस युद्ध का चर्चा इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया है तो ज्यादातर लोगों को मालुम नहीं है. लेकिन फिर भी जे पी दत्ता ने अपनी ओर से लिखने की पूरी कोशिश की है और बहुत हद तक उन्हें कामयाबी भी मिली है लेकिन क्योंकि ज्यादा कुछ था नहीं तो स्क्रिप्ट कमज़ोर हो गयी है. बात निर्देशन की करें तो जी पी दत्ता अपने पुराने फार्मूला का ही इस्तेमाल किये है. फौजी की लव स्टोरी, प्रेमिका / मंगेतर / पत्नी को छोड़कर सरहद पर जाना और फिर उनकी यादों के सहारे अपने प्यार को ज़िंदा रखना. फिल्म देखते वक्त यह काफी रिपीटिटिव सा लगता है. लेकिन एक समस्या यह भी है की वार फिल्मों में आप ज्यादा एक्सपेरिमेंट भी नहीं कर सकते.

A scene from film Palatan

आर्मी वाले इमोशन को बॉर्डर और एल.ओ.सी. कारगिल की तरह यहाँ भी रखने की पूरी कोशिश की गयी है लेकिन कम स्टारकास्ट होने की वजह से यह पिछली फ़िल्में जितनी इम्पैक्ट छोड़ने में कामयाब नहीं हो पाती है.

अभिनय

अपने पुराने कास्ट में से सिर्फ जैकी श्रॉफ को रिपीट किये है जे पी दत्ता, बाकी के कास्ट में अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, गुरमीत चौधरी, लव सिन्हा जैसे किरदार लीड रोल लिए हुए हैं. लिमिटेड डायलॉग्स का असर एक्टिंग पर भी देखने को मिलता है. एक भी किरदार प्रभावित नहीं कर पाती है.

Jacky Shroff and others in film Palatan

गीत-संगीत

जे पी दत्ता की अब तक के फिल्मों के गीत आए दिन सुनने को मिल जाते हैं और हमेशा नए जैसे ही लगते हैं. ना गीतकार बदला और ना ही संगीतकार बावजूद इसके अनु मलिक और जावेद अख्तर की जोड़ी एक भी याद रखने लायक गीत नहीं बना सके. फिल्म में कुल तीन गाने ही है जो फिल्म के साथ ही बहती चली जाती है. थियेटर से बाहर निकलने के बाद कोशिश करने से भी याद नहीं आ पाती है. पलटन का टाईटल ट्रैक यहाँ सुनते जाइए:

और अंत में: बॉर्डर और एल.ओ.सी. कारगिल का मोह लिए अगर आप थियेटर में जाते हैं तो बुरी तरह से निराश होकर लौटेंगे. यह एक छोटे से वार के बैकग्राउंड पर बनायी गयी कमजोर फिल्म है. वीकेंड पर कुछ और ट्राई किया जा सकता है.

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