अमेरिका का स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी – Statue of Liberty in New York (USA)

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इस सीरीज में आज बात करेंगे अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के मैनहट्टन में ‘लिबर्टी द्वीप’ पर स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के बारे में। जानेंगे कि ऐसा क्या है इस मूर्ति में कि यह दुनिया के सात अजूबों की लिस्ट में आते हैं। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, 4 जुलाई 1776 को अमेरिका की स्वतंत्रता की याद में अमेरिकियों के लिए फ्रांसीसियों द्वारा दिया गया एक तोहफा था। इस स्टैच्यू को फ्रांस में जुलाई 1884 में बनाकर तैयार कर लिया गया था और फ्रांसीसी युद्धपोत आईसेर द्वारा 17 जून 1885 को न्यूयॉर्क बंदरगाह पर लाया गया था। और फिर 28 अक्टूबर 1886 को इसे पूरी तरह से तैयार करने बाद आम दर्शकों के लिए खोल दिया गया था। यह हडसन नदी के एक टापू पर स्थित है।

स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का निर्माण फ्रांस और अमेरिका दोनों देशों के संयुक्त प्रयासों के द्वारा किया गया थाl इसके लिए अमेरिका और फ्रांस की सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था जिसके अनुसार अमेरिकी लोगों ने इस मूर्ति के आधार का निर्माण किया था और फ्रांसीसी लोगों ने इस मूर्ति को वहाँ स्थापित किया था। यह मूर्ति एक बेस पर खड़ी है। तांबे के इस स्टैच्यू का डिजायन फ्रांसीसी मूर्तिकार “फ्रेडरिक अगस्त बार्थोल्दी” ने तैयार किया था जबकि इसका निर्माण “गुस्ताव एफिल” ने किया था।

टूरिस्ट्स में इस प्रतिमा को लेकर एक अलग लेवल का क्रेज रहता है।

स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को अमेरिका के स्वतंत्रता के उपलक्ष्य में बनाया गया था, इसीलिए इसको स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस मूर्ति का पूरा नाम पूरा नाम ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी: लिबर्टी इनलाईटीएनिंग द वर्ल्ड” (Liberty Enlightening The World) है। इस मूर्ति के माध्यम से रोमन देवी लिबर्ट्स के स्वरूप को दर्शाया गया है जिन्हें स्वतंत्रता की देवी माना जाता है। फ्रांसीसी और अमेरिकी लोगों ने इस स्टैच्यू के निर्माण के लिए कुल 250,000 अमेरिकी डॉलर एकत्र किए थे। जिसमें एक जर्नलिस्ट जोसेफ पुलित्जर ने अकेले ही क्राउड-फंडिंग के जरिए 100,000 डॉलर से भी ज्यादा इकट्ठा किया था।

फ्रांस से अमेरिका लाने के क्रम में स्टैच्यू को 350 टुकड़ों में बांटा गया था और 214 बड़े-बड़े बक्सों में पैक किया गया थाl अमेरिका पहुंचने के बाद इस स्टैच्यू के टुकड़ों को फिर से जोड़ने में 4 महीने का समय लगा था। इस मूर्ति की ऊंचाई 46 मीटर की है, लेकिन यह सिर्फ मूर्ति की ऊंचाई है। अगर जमीनी सतह से इसकी ऊंचाई देखें तो यह कुल 93 मीटर लम्बी है। स्टैचू आफ लिबर्टी का कुल भार लगभग 225 टन है। मूर्ति के मुकुट से 7 नुकीली कीलें निकली हुई है और  प्रत्येक कील की लंबाई 9 फीट तथा भार 68 किलो है। ये कीलें  विश्व के सात महाद्वीपों को प्रदर्शित करती है। इसके मुकुट पर  25 खीड़कियां बनी हुई हैं जो कि धरती के रत्नों को दर्शाती है। इसके मुकुट तक चढ़कर जाने के लिए रास्ता भी है। जिसके लिए आपको 354 घुमावदार सीढियाँ चढ़नी पड़ती है। इस स्टैच्यू के पाँवों में पड़ी हुई टूटी बेड़ियाँ उत्पीड़न, अत्याचार और गुलामी से मुक्ति का प्रतीक है।

इसका सीनिक व्यू पूरी दुनिया को अपना दीवाना बनाती है।

साल 1986 में मरम्मत के दौरान नई मशाल को 24 कैरेट सोने की पतली चादर से सावधानीपूर्वक घेरा गया था। मूर्ति के बाएं हाथ में 23 फीट 7 इंच लम्बा और 13 फीट 7 इंच चौड़ा नोटबुक या तख्ती है जिस पर JULY IV MDCCLXXVI लिखा हुआ है जो 4 जुलाई, 1776 को प्रदर्शित करता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी अपने विशाल आकार और महत्व के कारण पूरी दुनिया के कुछ गिने चुने अजूबों में गिनी जाती है।

जिस समय यह प्रतिमा खड़ी हुई थी उस समय यह लोहे से निर्मित सबसे ऊंची संरचना के रूप में जाने गई थी। साल 1984 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर की लिस्ट में स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को शामिल कर लिया था। इस स्टैच्यू की प्रसिद्धि इतनी ज्यादा है कि इससे मिलते-जुलते हुए सामान प्रतिमा पाकिस्तान, मलेशिया, ताइवान, ब्राजील और चीन में भी बनाई गयी है। इसको देखने के लिए हर साल लगभग 32 लाख टूरिस्ट स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को देखने आते हैं।

इस प्रतिमा के ऊपर (ताज) तक जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया गया है। जहाँ जाकर यह कुछ ऐसा दीखता है।

11 सितम्बर 2001 को जब न्यूयॉर्क शहर पर आतंकी हमला हुआ था तब कई लोग स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी इस भयावह नजारे को देख रहे थे। इसी द्वीप पर एक स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी म्यूजियम भी है, जिसमें इस प्रतिमा से सम्बंधित लगभग सभी जानकारियां उपलब्ध है।

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