Tag: Hindi Kahani
बेगम साहिबा – अकबर बीरबल की कहानी
एक बार अकबर बीरबल हँसी मजाक कर रहे थे. अकबर बोले, “बीरबल ! तुम्हारी बीवी बहुत सुंदर है” बीरबल : जहाँपनाह, पहले मैं भी ऐसा ही सोचता था पर जबसे बेगम साहिबा को देखा है मैं अपनी पत्नी को ही भूल गया पूरा पढ़ें...
छोटी लाईन बड़ी लाईन – अकबर बीरबल की कहानी
एक बार अकबर बीरबल हँसी मजाक कर रहे थे। तभी अकबर ने तलवार से धरती पर एक लाईन खींच दी और उसे बिना मिटाये छोटी करने को कहा । बीरबल ने उसी लाईन के सामने एक बडी लाईन खींच दी। पूरा पढ़ें...
मोम का शेर – अकबर बीरबल की कहानी
एक बार ईरान के राजा ने पिंजरे में एक शेर भेजा और कहा कि अगर इसे कोई बिना पिंजरा खोले बाहर निकाल देगा तो मान जायेगा की आपके दरबार मेंनवरत्नों की होड संसार में नहीं हो सकती। पूरा पढ़ें...
जाह्नवी – जैनेन्द्र कुमार की कहानी
आज तीसरा रोज़ है। तीसरा नहीं, चौथा रोज़ है। वह इतवार की छुट्टी का दिन था। सबेरे उठा और कमरे से बाहर की ओर झांका तो देखता हूं, मुहल्ले के एक मकान की छत पर कांओं-कांओं करते हुए कौओं से घिरी हुई एक लड़की खड़ी है। पूरा पढ़ें...
तत्सत् – जैनेन्द्र कुमार की कहानी
एक गहन वन में दो शिकारी पहुँचे। वे पुराने शिकारी थे। शिकार की टोह में दूर-दूर घूम रहे थे, लेकिन ऐसा घना जंगल उन्हें नहीं मिला था। देखते ही जी में दहशत होती थी। वहाँ एक बड़े पेड़ की छाँह में उन्होंने वास किया और आपस में बातें करने लगे। पूरा पढ़ें...
शिकार को निकला शेर – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी
एक शेर एक रोज जंगल में शिकार के लिए निकला। उसके साथ एक गधा और कुछ दूसरे जानवर थे। सब-के-सब यह मत ठहरा कि शिकार का बराबर हिस्सा लिया जाएगा। पूरा पढ़ें...
सौदागर और कप्तान – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी
एक सौदागर समुद्री यात्रा कर रहा था, एक रोज उसने जहाज के कप्तान से पूछा, ''कैसी मौत से तुम्हारे बाप मरे?"कप्तान ने कहा, ''जनाब, मेरे पिता, मेरे दादा और मेरे परदादा समंदर में डूब मरे।'' पूरा पढ़ें...
महावीर और गाड़ीवान – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी
एक गाड़ीवान अपनी भरी गाड़ी लिए जा रहा था। गली में कीचड़ था। गाड़ी के पहिए एक खंदक में धँस गए। बैल पूरी ताकत लगाकर भी पहियों को निकाल न सके। पूरा पढ़ें...
कंजूस और सोना – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी
एक आदमी था, जिसके पास काफी जमींदारी थी, मगर दुनिया की किसी दूसरी चीज से सोने की उसे अधिक चाह थी। इसलिए पास जितनी जमीन थी, कुल उसने बेच डाली और उसे कई सोने के टुकड़ों में बदला। पूरा पढ़ें...
गधा और मेंढक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी
एक गधा लकड़ी का भारी बोझ लिए जा रहा था। वह एक दलदल में गिर गया। वहाँ मेंढकों के बीच जा लगा। रेंकता और चिल्लाता हुआ वह उस तरह साँसें भरने लगा, जैसे दूसरे ही क्षण मर जाएगा। पूरा पढ़ें...