Sanju film poster

फिल्म रिव्यू: संजू

Sanju film poster

राजकुमार हिरानी बॉलीवुड में 100 % का ट्रैक रिकॉर्ड रखते है. इसीलिए जब उन्होंने संजय दत्त के जीवन पर आधारित फिल्म संजू बनाने की सोची तब लोगों को लगा कि वो इस टाइप की फिल्म बना पाएंगे क्या? लेकिन किसी भी तरह के फिल्म बनाने को लेकर एक डायरेक्टर का दिमाग हमेशा क्लियर रहता है. उन्हें पता होता है कि वो क्या कर रहे है. पब्लिक उनसे क्या एक्स्पेक्ट कर रही है और वो पब्लिक को क्या दे रहे है. लेकिन क्या राजू हिरानी इस फिल्म से अपने ट्रेडमार्क को बचा पाते है या फिर से कोई एक सोशल मैसेज छोड़ जाते है. इसकी चर्चा आगे है.

वीडियो के रूप में रिव्यु यहाँ देखें

कहानी

सबसे पहले बात करते है कहानी की. जीवन पर बनी है तो क्या, हर ज़िन्दगी की अपनी एक कहानी होती है. और यदि नहीं होती है तो होनी चाहिए. संजय दत्त के बारे में बहुत लोगों को बहुत सारी बातें पहले से ही पता है. एक सेलेब्रेटी होने का सबसे बड़ा फायदा / नुकसान यही तो होता है. आप अपने लाइफ को पूरी तरह से प्राइवेट नहीं रख सकते. क्योंकि लोग आपके बारे में जानना चाहते है. राजकुमार हिरानी अपने एक इंटरव्यू में बताये थे कि संजय दत्त ने उन्हें जितने दिन तक कहानी सुनाई अगर उसका पूरा ड्यूरेशन काउंट करें तो लगभग 200 घंटे होते है. लेकिन राजू और फिल्म के लेखक अभिजात जोशी के सामने सबसे बड़ा चैलेन्ज यही था कि इसको तीन घंटे की फिल्म में कैसे समेटे.

Ranbir Kapoor and Diya Mirza from film Sanju

फिर भी कोशिश पूरी की गयी है. फिल्म शुरू होती है साल 2013 से, जब वापस संजू को आर्म्स एक्ट में 6 साल के लिए जेल जाना है. जेल जाने से पहले उसके पास एक महीना का वक़्त है. इस वक़्त में वो चाहते है कि मेरी ज़िन्दगी में मची भसड़ को नहीं बल्कि ज़िन्दगी से जुडी सच्चाई को लेकर एक सच्ची किताब लिखी जाए. मेरी ऑटोबायोग्राफी. लिखने के लिए एक सेलेब्रेटी ऑटोबायोग्राफी राईटर अनुष्का शर्मा से संपर्क किया जाता है. अनुष्का मान जाती है. फिर संजू उसे अपने लाइफ की कहानी सुनाता है. सच्ची कहानी.

Anushka Sharma and Ranbir Kapoor from film Sanju

कहानी शुरू होती है रॉकी के फिल्म सेट से जहाँ सुनील दत्त अपने बेटे संजय दत्त को डायरेक्ट कर रहे है. फिल्म सेट पर ही संजू की दोस्ती एक ड्रग डीलर से हो जाती है. और फिर एक के बाद एक घटना ऐसी होती है कि संजू ड्रग एडिक्ट बन जाता है. वो अपनी बीमार माँ को देखने दो बहनों के साथ अमेरिका जाते है तब भी वो अपने साथ ड्रग ले जाते है. वहीं पर उसे एक गुजराती दोस्त भी मिल जाता है. संजू वापस इंडिया आता है लेकिन ड्रग उसके साथ साये की तरह चिपक गया है. ऐसे ही खुद को तबाह करते देख कर सुनील दत्त से रहा नहीं जाता है और वो उन्हें अमेरिका भेज देते है. रिहैब सेंटर में. इलाज के लिए.

Frightened Ranbir in Paresh Rawal lap from film Sanju

इलाज करवाकर संजू वापस आता है और फिल्मों में व्यस्त हो जाता है. फिर आता है साल 1993. बॉम्बे के इतिहास का सबसे काला साल. बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद देश भर में दंगे होते है और बॉम्बे में ब्लास्ट. संजय दत्त पर अपने घर में AK-56 राईफल रखने का इल्जाम लगता है. संजू इस बात को कबूलते भी है. राईफल रखने की बात को फिल्म में जस्टिफाई किया गया है जो आप देखकर जानेंगे. अभी बताना स्पॉइलर हो सकता है. फिर संजू-दोस्त-कोर्ट और सुनील दत्त. इन चार किरदारों के साथ फिल्म आगे बढ़ती है और यरवडा जेल के बाहर ख़त्म होती है.

लेखन - निर्देशन

Film Sanju director Rajkumar Hirani

संजय दत्त जब राजू और अभिजात को कहानी सुनाये तब वो बहुत लम्बी थी. रणबीर कपूर भी एक इंटरव्यू में बताये कि इसमें एक नहीं बल्कि तीन फ़िल्में है. क्योंकि हमें एक ही बनानी थी सो इम्पोर्टेन्ट इवेंट्स को ही सेलेक्ट किया गया है. स्क्रिप्ट पौने तीन घंटे की है. लेकिन कहीं पर भी फिल्म बोर नहीं करती है. क्योंकि आप सबकुछ जान रहे होते है इसीलिए आप ये नहीं सोचते है कि अब क्या होगा, बल्कि आप ये सोच रहे होते है कि ये कैसे होगा. फिल्म अपने लय में आगे बढ़ती है. परेश रावल और रणबीर कपूर के बीच बाप - बेटे वाला संवाद बहुत ही करीने से लिखा गया है. आँखों में आँसू लाने टाईप. राजू हिरानी के निर्देशन पर कौन ही शक कर सकता है. ज़बरदस्ती के लिए फिल्म में ना कोई जगह थी और ना ही डाली गयी है. तो कमाल बनी है फिल्म.

अभिनय

रणबीर कपूर. सिर्फ और सिर्फ रणबीर कपूर. ये नाम काफी है अभिनय की मज़बूती को दिखाने के लिए. शुरू से अंत तक रणबीर तो है लेकिन आपको ये लगता है कि सामने संजय दत्त ही दिख रहे है. उनके लुक्स और बॉडी पर काफी मेहनत की गयी है. संजू के किरदार को अपने अंदर आत्मसात कर लिया है रणबीर ने. कहीं पर भी कोई ढील नहीं. छोटे से रोल में सोनम कपूर भी जँचती है. बनावटी के नाम पर कुछ भी नहीं. सबकुछ ओरिजिनल जैसा. दिया मिर्ज़ा काफी दिनों बाद परदे पर दिखी है. संजू की पत्नी मान्यता के रोल में. उनके पास संवाद ज्यादा नहीं था लेकिन उनको देखकर ऐसा लगा जैसे मान्यता की स्थिति भी ऐसी ही होगी. शालीन अभिनय और एक्सप्रेशन जोड़दार मिश्रण.

Various shades of Rabir Kapoor in film Sanju

विकी कौशल आने वाले समय के बेजोड़ एक्टर है. यह बात मैंने राज़ी के रिव्यू में भी कहा था. रणबीर कपूर के साथ सबसे ज्यादा स्क्रीन स्पेस इसे ही मिला है. उनके दोस्त के रोल में विकी बहुत ही बारीकी से हर बात कह जाते है. बहुत बातें तो अपने भाव - भंगिमा से ही. एक गुज्जु कैरेक्टर को बहुत सही से लिखा भी गया है और निभाया भी गया है. अनुष्का शर्मा एक NRI राईटर के रोल में है. अनुष्का में वो कैपेबिलिटी तो है कि इस तरह के किरदार को वो आसानी से निभा ले. और अनुष्का ने वही किया है.

Paresh Rawal, Ranbir Kapoor and Vicky Kaushal in film Sanju

अब बात परेश रावल की. वो संजू के एक प्रोमोशनल इवेंट में बोले थे कि दत्त साहब को प्ले करना एक चुनौती था. लेकिन ऐसा कहीं भी लगा नहीं और यहीं परेश रावल अपने हिस्से के पूरे नंबर ले जाते है. जिम सरभ को एक छोटा सा रोल मिला है और उसके साथ जिम ने पूरा न्याय किया है. मनीषा कोइराला का छोटा सा प्रेजेंस सुकून देता है.

Ranbir and Manisha Koirala from filem Sanju

गीत - संगीत

फिल्म में कुल छः गाने है. कर हर मैदान फ़तेह, और बढ़िया गाना पहले ही हिट हो चूका है. लेकिन जब इरशाद कामिल का लिखा गीत मुझे चाँद पर ले चलो परदे पर चलता है तब आप संजू का दर्द महसूस करने लगते है. थियेटर के बाहर आने पर आपको प्रोमोशनल सॉन्ग ही दिमाग में बजता है - बाबा बोलता है बस हो गया. फ़ीचरिंग द रियल एन्ड रील बाबा टुगेदर.

फिल्म में सलमान का कोई किरदार नहीं है, माधुरी का भी नहीं है बाकि भी किसी का नहीं है जिसके बारे में विकिपीडिया ने लिखा था. बाकि फिल्म बहुत ही अच्छी है. फैमिली के साथ देखिये और यदि साथ में पापा भी रहे तो मज़ा दुगुना हो सकता है. राजू हिरानी यहाँ भी फेल नहीं होंगे और अपना ट्रैक रिकॉर्ड 100% का ज़रूर बरकरार रखेंगे. एन्जॉय. . . .

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