बगुला भगत और केकड़ा – मित्रभेद की कहानी

एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकडे आदि वास करते थे। पास में ही बगुला रहता था, पूरा पढ़ें...

बगुला भगत और केकड़ा – मित्रभेद की कहानी

दुष्ट सर्प और कौवे – मित्रभेद की कहानी

एक जंगल में एक बहुत पुराना बरगद का पेड था। उस पेड पर घोंसला बनाकर एक कौआ-कव्वी का जोडा रहता था। उसी पेड के खोखले तने में कहीं से आकर एक दुष्ट सर्प रहने लगा। हर वर्ष मौसम आने पर कव्वी घोंसले में अंडे देती और दुष्ट सर्प मौक़ा पाकर उनके घोंसले में जाकर अंडे खा जाता। पूरा पढ़ें...

दुष्ट सर्प और कौवे – मित्रभेद की कहानी

लड़ती भेड़ें और सियार – मित्रभेद की कहानी

एक दिन एक सियार किसी गाँव से गुजर रहा था। उसने गाँव के बाजार के पास लोगों की एक भीड़ देखी। कौतूहलवश वह सियार भीड़ के पास यह देखने गया कि क्या हो रहा है। सियार ने वहां देखा कि दो भेड़ें आपस में लड़ाई कर रहे थे। पूरा पढ़ें...

लड़ती भेड़ें और सियार – मित्रभेद की कहानी

चालाक महाजन और मेहनती चित्रकार – अकबर बीरबल की कहानी

एक बार एक महाजन को अपना चित्र बनवाने का शौक लगा। उसने एक चित्रकार को बुलवाकर अपना चित्र बनाने को कहा। पूरा पढ़ें...

चालाक महाजन और मेहनती चित्रकार – अकबर बीरबल की कहानी

माली और मटका चोर – अकबर बीरबल की कहानी

एक बार की बात हैं बीरबल अपने गाँव से गुजर रहे थे कि तभी उन्हें किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी। उन्होंने जब चारों और देखा तो उन्हें एक बूढा आदमी दिखा। बीरबल ने उसके पास जाकर देखा तो पता चला कि ये तो राजा अकबर के बगीचे में काम करने वाला माली हैं। पूरा पढ़ें...

माली और मटका चोर – अकबर बीरबल की कहानी

पेड़ की गवाही – अकबर बीरबल की कहानी

रोशन जीवन के अंतिम पड़ाव में था इसलिए वह तीर्थयात्रा पर जाना चाहता था । उसने अपने जीवन भर की कमाई एक जगह एकत्रित कर रखी थी पूरा पढ़ें...

पेड़ की गवाही – अकबर बीरबल की कहानी

बाढ़ और राहत बचाव कार्य – तेनालीराम की कहानी

एक बार विजयनगर में बाढ़ के कारण गावं के गावं पानी में डूब गए जिसकी वजह से गावं के लोगो का काफी नुकसान हो गया। जब महाराज कृष्णदेव राय को इस प्राकृतिक आपदा के बारें में बताया गया तो उन्होंने फ़ौरन एक मंत्री को राज्यभर में राहत कार्य शुरू करने को कहा। पूरा पढ़ें...

बाढ़ और राहत बचाव कार्य – तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम के बाग की सिंचाई – तेनालीराम की कहानी

एक बार विजयनगर में भीषण गर्मी के कारण सूखे की स्थिति पैदा हो गई। राज्य की नदियों -तालाबों का जलस्तर घट जाने के कारण पानी की विकट समस्या खड़ी हो गई। सूखे के कारण नगर के सभी बाग़ – बगीचे भी सूखने लगे। पूरा पढ़ें...

तेनालीराम के बाग की सिंचाई – तेनालीराम की कहानी

मटके में मुंह – तेनालीराम की कहानी

एक बार महाराज कृष्णदेव राय किसी बात पर तेनालीराम से नाराज हो गए। गुस्से में आकर उन्होंने तेनालीराम से भरी राजसभा में कह दिया कि कल से मुझे दरबार में अपना में अपना मुंह मत दिखाना। उसी समय तेनालीराम दरबार से चला गया। पूरा पढ़ें...

मटके में मुंह – तेनालीराम की कहानी

उधार का बोझ – तेनालीराम की कहानी

एक बार किसी वित्तीय समस्या में फंसकर तेनालीराम ने राजा कृष्णदेव राय से कुछ रुपए उधार लिए थे। समय बीतता गया और पैसे वापस करने का समय भी निकट आ गया, परंतु तेनाली के पास पैसे वापस लौटाने का कोई प्रबंध नहीं हो पाया था, पूरा पढ़ें...

उधार का बोझ – तेनालीराम की कहानी